पुलिन त्रिपाठी, सेंट्रल डेस्क। राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी गठबंधन की ओर से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि यूपी का राष्ट्रपति चुनाव में क्या महत्व है। क्योंकि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राष्ट्रपति चुनाव में भी खास भूमिका है। चुनाव में सूबे से ही सबसे ज्यादा वोट हैं। चलिए समझते हैं गणित
राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। वहीं आबादी की हिसाब से एक विधायक के वोट का वेटेज 208 है। जो कि अन्य किसी भी राज्य के तुलना में ज्यादा है। यानी सभी विधायकों के वोट का कुल वेटेज 83,824 हो जाता है। इसके अलावा प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट और राज्यसभा की 31 सीटें भी हैं। देश में इस बार एक सांसद के वोट का वेटेज 700 है। इस लिहाज से लोकसभा सांसदों का वेटेज 56,000 और राज्यसभा सांसदों के वोट का कुल वेटेज 21,700 है।
उपचुनाव में जीत के बाद सूबे में भाजपा सांसदों की कुल संख्या बढ़कर 64 हो गई है। उसके सहयोगी अपना दल (एस) के पास 2 सांसद हैं। जिससे बीजेपी गठबंधन के कुल 66 लोकसभा सांसदों के वोट का वेटेज 46,200 हो गया है। खास बात ये है कि बीजेपी के दो सांसद बढ़े हैं, जिससे पार्टी को 1400 वेटेज का फायदा हो रहा है।
वहीं सपा गठबंधन के तीन सांसदों के वोटों का कुल वेटेज 2100 हो रहा है। जबकि बसपा के दस सांसद हैं, जिनके वोट का कुल वेटेज 7000 है। वहीं कांग्रेस के एक सांसद का वोट वेटेज केवल ही हो पाता है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले ही एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया है। यानी कुल मिला कर यूपी की वजह से मुर्मू की राह आसान होने वाली है।
राज्यसभा में 25 बीजेपी सांसद हैं, जिनके वोट का वेटेज 17,500 हो जाता है। वहीं सपा के 5 राज्यसभा सांसदों के वोट का कुल वेटेज 3500 ही हो पाती है। एक राज्यसभा सांसद बहुजन समाजवादी पार्टी का है। जिससे उसका कुल वेटेज 700 ही होता है।
यूपी विधानसभा में 403 में से बीजेपी गठबंधन के पास कुल 273 सीटों पर विधायक हैं। इनका कुल वोट वेटेज 56,784 होता है। राज्य में सपा गठबंधन के पास 125 विधायक हैं जिनका कुल वोट वेटेज 26000 होता है। जबकि राज्य में कांग्रेस और जनसत्ता दल के 2-2 विधायकों का वोट वेटेज 416-416 होता है। जबकि बसपा के पास राज्य में एक ही विधायक है, जिसका वोट वेटेज 208 हो जाता है।