स्टेट डेस्क/ बीपी टीम : कानूनी लड़ाई के लिए लोग न्यायालय जाते हैं और न्यायालय के फैसला आने के बाद उसके निर्णय पर अमल भी करते हैं अमल न करने की स्थिति में उसको कोर्ट की अवमानना समझा जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार और उसके विभागो ने एक या दो नही बल्कि हजारों मामलों में वर्डिक्ट आने के अमल नहीं किया और न ही उच्चतम न्यायालय में कोई बाद दाखिल किया ऐसी ही समस्या से शिक्षा विभाग के कई रिटायर्ड कर्मचारी भी जूझ रहे हैं।
दरअसल पूर्व में यूपी शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाली एक निगम अपट्रान थी जिसमें काम करने वाले कई लोग रिटायरमेंट के बाद सड़क पर आ गए है क्योंकि कोर्ट के आदेश के बाद भी उनकी सुनवाई कहीं भी नहीं हो रही है। शिक्षा विभाग की इस लापरवाही से कई सरकारी पेंशनर्स को बड़ी कठिनाइयां का सामना करना पड़ रहा है।
सालों तक सरकारी सेवाएं देने के बाद भी पेंशन और सैलरी के लिए कई लोगो को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा ही एक मामला शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को देखने को मिला है जहां अच्छी खासी संख्या में पेंशन उपभोक्ता अपनी सैलरी पेंशन और तमाम तरह की सेवाओं से वंचित नजर आ रहे है यहां तक कि तमाम लोग उच्च अधिकारियों के साथ-साथ कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं कोर्ट से फैसला मिलने के बाद भी सरकारी कर्मचारियों को सेवाएं अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई थी जिसकी वजह से उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ चुका है।
शिक्षा विभाग का एक मामला देखने को मिला है यहां पर कई सीनियर कर्मचारी जो कि शिक्षा विभाग से सेवाएं देकर रिटायर्ड हो चुके हैं उनको कठिनाइयों के साथ अपने परिवार का पालन पोषण करना पड़ रहा है शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि हम लोगों को ना ही पेंशन मिली ना ही सैलरी का पैसा जो कि बकाया है जिसका हम कोर्ट से मुकदमा भी जीत चुके हैं और साथ ही साथ वह तमाम सेवाएं जो हमने शिक्षा विभाग को दी हैं।
उसके बदले में जो सेवा हम लोगों को मिलनी चाहिए वह अभी तक नहीं मिल पाई है 2017 के बाद से रिटायर्ड कर्मचारियों को किसी भी सेवा से सरकार ने मुहैया नहीं कराया है। जब हम लोगों ने कोर्ट में अपील की तो कोर्ट से भी मुकदमा हम लोगों के हक में हुआ और शासन को यह आदेश दिया गया कि जल्द से जल्द हम लोगों का भुगतान किया जाए लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हम लोगों को रोज शिक्षा विभाग के दफ्तर चाहे वह लखनऊ हो या प्रयागराज रोज चक्कर काटना पड़ रहा है लेकिन फिर भी झूठी तसल्ली के अलावा कुछ हाथ नहीं आया है कर्मचारियों का कहना है कि हम लोग सरकार से गुहार लगाते हैं कि जल्द से जल्द हम लोगों का भुगतान करें ताकि हमारा परिवार भुखमरी की मार से बच सके।
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