पूर्णिया : धन्य है जिले का शिक्षा विभाग… 160 नौनिहाल जो टीन के बने शेड और कच्ची मिट्टी की जमीन पर वर्षों से पढ़ने को है मजबूर

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कोई भी इन नौनिहालों की सुध लेने वाला नहीं…जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछिये तो कहेंगे मैंने विभाग को लिख दिया है… आज हम आजादी के 75 वां सालगिरह मना रहे है और इन बच्चों के इन नन्हे हाथों में एक जलेबी भी नहीं…

पूर्णिया/राजेश कुमार झा: आज हमलोग बड़े ही धूमधाम से आजादी का 75 वां सालगिरह मना रहे है.लेकिन इन 160 नौनिहालों को एक जलेबी भी नसीब नहीं हुई.क्या आजादी का यही मतलब है कि कहीं मिठाई का फेंका हुआ डब्बा कुत्ता खा रहा है तो कहीं इन नौनिहालों को एक जलेबी तक नसीब नहीं है.

बताते चलें कि जिला समाहरणालय से महज 1500 मीटर दूर हाउसिंग कॉलोनी में बना 160 नौनिहालों का एक सरकारी स्कूल,जहां वर्षों से चार शिक्षक पढ़ाते हुए वेतन ले रहे है.जहां जरूरत भर मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.इस स्कूल में दो महिला शिक्षक और दो पुरूष शिक्षक है.इन महिला शिक्षकों को अगर बाथरूम भी जाना पड़े तो बगल के पड़ोस में ही जाना पड़ता है.इन बच्चों को पानी भी पीना है तो क्लास छोड़कर बगल के यहां जाना पड़ता है.इस स्कूल में न बिजली है,न पंखा है और न ही मूलभूत जरूरत का कुछ है.यहां तक कि एक चापाकल तक भी नहीं है.

ये नगर निगम क्षेत्र में बिहार का एक ऐसा स्कूल है,जो बिहार सरकार के सभी दावों की पोल खोल देता है.बिहार सरकार लाख अपना पीठ थपथपा लें लेकिन सच्चाई तो आपको मुंह चिढ़ा ही रही है.बिफोरप्रिंट ने विगत कई महीने पहले इस स्कूल कज खबर को काफी प्रमुखता से छापा था.जिसपर पूरे बिहार सहित देश के कई राज्यों से इसकी प्रतिक्रिया आने लगी तो बिहार सरकार ने आनन-फानन में इस स्कूल की पूरी डिटेल्स मांगी और वर्तमान जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवनाथ रजक को अविलंब निर्देश दिया गया.

विभाग के हरकत में आने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवनाथ रजक ने आनन-फानन में पत्राचार कर विभाग से आगे की कारवाई के लिए दिशा-निर्देश की मांग की.मामले की जानकारी देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवनाथ रजक ने बताया कि जमीन कि नापी और उसे खाली करवाने के लिये विभाग को लिखा गया है.आगे विभाग का जैसा निर्देश होगा उस पर कारवाई की जाएगी.अब सबसे बड़ी बात ये है कि विगत कई वर्षों से आज तक किसी भी पदाधिकारी की नजर इन पढ़ रहे नौनिहालों पर क्यों नहीं गई.

ये स्कूल जिला समाहरणालय से महज 10 मिनट की दूरी पड़ है.दूसरी सबसे बड़ी बात आज हम आजादी के 75 वें साल का जश्न मना रहे है और इस स्कूल में पढ़ रहे नौनिहालों को एक जलेबी तक नसीब नहीं है.बड़े-बड़े ऑफिस के बाहर आधा पैकेट मिठाई के डब्बे खाकर फेंके हुए डब्बे को कुत्ते कहा रहे है और इन नौनिहालों को एक जलेबी तक भी नसीब नहीं है.

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