पूर्णिया/राजेश कुमार झा। शाम ढलते ही लाइन बाजार के गेस्टहाउस,लॉज सहित शहर के बड़े-बड़े नामी होटलों में कॉल गर्ल का धंधा शुरू हो जाता है.यहां तक कि शहर के कई बड़े होटलों में दिन में भी घण्टे-दो घण्टे के लिये आराम से कमरा उपलब्ध हो जाता है.ये सभी काम सिंडिकेट के द्वारा करवाया जाता है.बस सिर्फ आपको सिंडिकेट के हिसाब से पैसे पे करने होंगे.
…कैसे काम करता है कॉल गर्ल का सिंडिकेट…
इस धंधे में शामिल कॉल गर्ल और सिंडिकेट के पास मोबाइल नम्बर उपलब्ध रहता है.कॉल गर्ल के सिंडिकेट का मेम्बर आपको वाट्सअप कॉल या वीडियो कॉल करेगा.ताकि कोई इसे रिकॉर्ड नहीं कर सके और आपकी पूरी तसल्ली कर ले की आप कहीं पुलिस या उसका कोई मुखबिर तो नहीं है.सिंडिकेट की तस्सली के बाद वो आपसे ये पूछेगा की आप किस होटल,लॉज या गेस्टहाउस में जाना पसंद करेंगे.आपके बताये अनुसार ही सिंडिकेट सबकुछ मैनेज करता है.अब आपसे सिंडिकेट वाले ये पूछेंगे की आपको लड़की घण्टे-दो घण्टे के लिये चाहिये या पूरी रात के लिये.जैसा आप बताएंगे उस हिसाब से रेट तय किया जाएगा.यानी सिंडिकेट आपको सुरक्षा की पूरी गारंटी देता है.
मकान मालिक को किराए के बहुत अधिक पैसे दिए जाते है
कॉल गर्ल का सिंडिकेट चलाने वाले पॉश एरिया को ही अपना पहला टारगेट बनाते है.इन लोगों की पहली कोशिश रहती की लड़कियों को सेफ जॉन में रखा जाय.जहाँ इन सबके बारे में कोई ज्यादा पूछताछ नहीं करे.ये लोग ऐसा मकान ढूंढते है,जहाँ मकान मालिक न हो और लोभी भी हो,और ज्यादा पूछताछ भी नहीं करे.मकान मालिक भी अधिक पैसे के लोभ में अपना मकान किराए पर दे देते है.लेकिन जब असलियत का पता चलता है तब पैरों तले की जमीन खिसकने लगती है.कुछ खास लोगों को मकान के अंदर भी जाने की इजाजत मिल जाती है.
…पुलिसिया तंत्र फेल…
शहर के कई पॉश मोहल्ले से लेकर बड़े-बड़े होटलों,लॉज एवं गेस्टहाउस में धड़ल्ले से कॉल गर्ल का धंधा चल रहा है और लोकल थाने की इसकी भनक भी नहीं है.इसे पुलिसिया तंत्र फेल नहीं कहा जाय तो क्या कहा जाय.
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