राजीव गांधी हत्याकांड : पेरारिवलन को 31 साल बाद रिहा करने का आदेश, बाकी छह दोषियों को भी उम्मीद

News trending ट्रेंडिंग दिल्ली

नई दिल्ली, सेंट्रल डेस्क। एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है। फैसले से हत्याकांड में शामिल नलिनी श्रीहरन और मरुगन समेत छह दोषियों की रिहाई की उम्मीद भी जगी है।

21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में आत्मघाती विस्फोट के जरिए हत्या हुई थी। मामले में 11 जून 1991 को पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था। पेरारिवलन घटना के समय 19 साल का था और वह पिछले तकरीबन 31 सालों से जेल में बंद है।

इसके पहले की सुनवाई में केंद्र ने राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से ज्यादा कारावास की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने के तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले का बचाव किया था।

कोर्ट में अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ को बताया कि कानून के तहत हत्या में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा में छूट, माफी और दया याचिका पर केवल राष्ट्रपति ही फैसला कर सकते हैं।

बता दें कि राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था। पहले सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके बाद कोई राहत न मिलने के बाद ही दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इसके पहले तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता और एके पलानीसामी की सरकार ने दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी। मगर राज्यपालों ने इन सिफारिशों को स्वीकार न करते हुए भारत के राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। लंबे समय तक दया याचिका पर फैसला नहीं होने की वजह से दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

यह भी पढ़ें…