भाई बहन के पावन रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा युगों से मनाया जा रहा है इस त्योहार के माध्यम से भाई बहन के बीच आपसी जिम्मेदारी और स्नेह में वृद्धि होती है।
रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा 11 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त प्रातः 10:39 से 12 अगस्त प्रातः 07.05 तक होने से यह त्योहार 11 अगस्त को ही प्रातः 10:39 से पूरे दिन मनाया जाएगा।
शास्त्रानुसार रक्षाबंधन में भद्रा टाली जाती है, जो इस बार प्रातः 10:32 से रात्रि 8:30 तक रहेगी लेकिन भद्रा का वास पाताल लोक मे होने से रक्षाबंधन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रक्षाबंधन शुभ समय
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रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़ रही हो। हालाँकि आगे दिए इन नियमों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
1👉 यदि पूर्णिमा के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा का वास पृथ्वी पर हो तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो पर्व के सारे विधि-विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में करने चाहिए।
2👉 लेकिन यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं। यद्यपि पंजाब आदि कुछ क्षेत्रों में अपराह्ण काल को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, इसलिए वहाँ आम तौर पर मध्याह्न काल से पहले राखी का त्यौहार मनाने का चलन है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार भद्रा का वास केवल पृथ्वी पर होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह निषेध है, चाहे कोई भी स्थिति क्यों न हो।
ग्रहण सूतक या संक्रान्ति होने पर यह पर्व बिना किसी निषेध के मनाया जाता है।
ज्योतिष पंचांगों के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 11 अगस्त 2022 को दिन 10 बजकर 39 मिनट ऋषिकेश के स्थानिय समय अनुसार होगा। और पूर्णिमा तिथि का समापन 12 अगस्त को प्रातः 07 बजकर 05 मिनट पर होगा।
इस बार भद्रा 11 अगस्त 2022 को प्रातः 10 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी और रात्रि 08 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। एक बार फिर से ध्यान दें जैसे की कुछ मनगढंत लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है की भद्राकाल मे राखी बाँधने से रावण की मृत्यु हुई। इसमे भी यह बात स्पष्ट नहीं है की रावण की मृत्यु के समय भद्रा का वास किस लोक मे था अगर भद्रा वास मे राखी बाँधने से ही रावण की मृत्यु हुई तो रावण द्वारा किये गये कुकर्मो (पापों) का क्या महत्त्व रह गया। दूसरा भ्रम है की अगले दिन उदयकालीन तिथि के अनुसार 12 अगस्त को पूरे दिन राखी बाँध सकते है यह भी गलत है क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा 3 घड़ी से बहुत कम है ऐसी स्थिति मे राखी प्रतिपदा तिथि को बाँधना उचित कैसे हुआ तीरसा भ्रम भद्रा का डाला जा रहा है जबकि पाताल भद्रा का अशुभ प्रभाव पृथ्वी पर नहीं पड़ता है इसलिए निःसंकोच होकर रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त को ही मनाये।
भद्रा को लेकर सुप्रसिद्ध धर्म ग्रन्थों का निर्णय
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सुप्रसिद्ध धर्म ग्रन्थों निर्णय सिन्धु,धर्म सिन्धु,पुरुषार्थ चिन्तामणि, कालमाधव, निर्णयामृत आदि के अनुसार दिनांक 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि दो मुहूर्त से कम होने के कारण दिनांक 11 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म व रक्षा बन्धन शास्त्र सम्मत हैं।
भद्रा निर्णय:👉 मुहूर्त चिन्तामणि 1/45 के अनुसार मकर राशि के चन्द्रमा में भद्रा वास पाताल में होने से इस दिन मकरस्थ चन्द्रमा की भद्रा को पीयूषधारा, मुहूर्त गणपति, भूपाल बल्लभ, आदि ग्रन्थों में अत्यन्त शुभ व ग्राह्य बताया गया है। भद्रा का वास जिस लोक मे होता है वही इसका अधिक प्रभाव मान्य है मुख्य रूप से भद्रा का वास पृथ्वी पर होने पर ही इसका शुभाशुभ प्रभाव जनमानस के ऊपर अधिक देखा जाता है।
(देखिए वृहद् दैवज्ञ-रंजन 26/40)
फिर मुहूर्त प्रकाश में तो स्पष्ट ही कहा है कि आवश्यक कार्य में मुख मात्र को छोड़कर सम्पूर्ण भद्रा में शुभ कार्य कर सकते हैं। भद्रा का मुख ऋषिकेश के स्थानीय समय अनुसार सायं 5:51 बजे से प्रारम्भ हो रहा है अतः पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ प्रातः 10:39 बजे से सायं 05:51 बजे तक का सम्पूर्ण समय श्रावणी उपाकर्म व रक्षा बन्धन के लिए पूर्णरूपेण शुद्ध हैं।
राजकीय अवकाश व व्यवहारिक पक्ष
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भारत सरकार द्वारा मूर्धन्य विद्वानों की अनुशंसा पर 11अगस्त को रक्षाबंधन का राजकीय अवकाश घोषित किया गया है ।अतः पूरे विश्व में 11 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व प्रातः 10:39 बजे से सायं 05:51 बजे तक नि:शंकोच होकर मनायें भद्रा का कोई दोष नहीं है। किसी भी हालत में पर्व दो दिन न हो यह प्रयास करें ।
रक्षाबंधन के लिये अभिजीत मुहूर्त अपराह्न (दोपहर) 👉11 बजकर 55 मिनट से शाम 12 बजकर 49 मिनट तक
रहेगा।
रक्षाबंधन के लिये प्रदोष काल मुहूर्त रात्रि 08:51 से 09:10 तक।
चौघड़िया अनुसार राखी बांधने का शुभ समय
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प्रातः 05:41 से 07:22 शुभ
दिन 12:22 से 02:02 लाभ
सायं 05:22 से 07:02 अमृत
दिन 11:55 से 12:49 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा अन्य समय की अपेक्षा इस समय राखी बांधना ज्यादा शुभ रहेगा।
दिन 02 बजकर 02 मिनट से 03 बजकर 41 मिनट तक राहूकाल रहेगा इस अवधि मे रक्षाबंधन ना करें।
रक्षाबंधन के विशेष उपाय
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यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य परेशानी में हो तो निम्न उपाय करना चाहिए।
रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लेवे।
उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार लगातार उल्टा उसार देवे। फिर उसी वक्त उस सामग्री को गर्म तवे पर डाल कर ऊपर से कटोरी उल्टी रखे। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये तब नीचे उतार लेवे व चौराहे पर किसी से फिकवां देवे। खुद नही फेके।
ध्यान रहे सरसो व लोंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप शादी सुदा है तो । अन्यथा खुद ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम मे नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे ना रखें तुरंत बाहर ले जाएं। इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करे।