करीब 1500 साल पुराना है कानपुर के बारादेवी मंदिर का इतिहास

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Kanpur, Beforeprint : कानपुर के बारादेवी मंदिर का इतिहास करीब 1500 साल पुराना है। उस समय यह बारादेवी इलाका पूरा जंगल हुआ करता था। बारादेवी मंदिर के प्रबंधक रूपम शर्मा के अनुसार अर्रा में रहने वाले लतुआ वीर बाबा की 12 पुत्रियों में सबसे बड़ी पुत्री का विवाह बर्रा गांव में तय हुआ था। जिस दिन बरात आने वाली थी, उसी दिन पिता की नीयत अपनी बेटी पर खराब हो गई थी।

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बड़ी बेटी सभी बहनों के साथ घर से बारादेवी आ गई थी। यहां भगवान से प्रार्थना करते हुए खुद को पत्थर का बनाने की मांग की थी। इसके बाद सभी बहनें पत्थर की हो गईं। तब यहां मठिया की स्थापना की गई थी। तभी से इसे बारादेवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। प्रबंधक के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सभी बहनों के श्राप से पिता भी पत्थर के हो गए थे। मंदिर से कुछ ही दूरी पर रामनाथ सिंह के हाते में पिता की मूर्ति काफी समय तक रखी रही थी। जब यहां आबादी बढ़ी तो मूर्ति गायब हो गई। प्रबंधक बताते हैं कि करीब सौ वर्ष पूर्व दिल्ली के एक सेठ को मंदिर बनाने का सपना आया था।

इसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर की मान्यता अब दूर-दूर तक है। कानपुर ही नहीं आसपास के जिलों के लोग भी यहां दर्शन करने आते हैं। बताते हैं कि नवरात्र की अष्टमी पर आज भी बर्रा से माता के परिवार के वंशज पूजा करने आते हैं। मायके से बकरा व ससुराल से तेल आता है।