Delhi, Beforeprint : केंद्र सरकार ने PFI और उससे जुड़े कई संगठनों पर अनलॉफुल ऐक्टिविटिज (प्रिवेंशन) ऐक्ट यानी UAPA के तहत 5 साल का बैन लगा दिया है। वही बैन के बाद पीएफआई के दफ्तरों से उसके होर्डिंग, पोस्टर का उतरवाना शुरू हो चुका है। महाराष्ट्र के नवी मुंबई में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पीएफआई का होर्डिंग हटाया गया। आखिर, बैन के बाद पीएफआई का क्या होगा, क्या-क्या बदलेगा, आइए समझते हैं।
बता दे अब सरकार के पास यूएपीए के तहत किसी संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने का अधिकार होता है। यूएपीए की धारा 35 के तहत, केंद्र सरकार किसी संगठन के आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर उसे आतंकी संगठन घोषित कर सकता है। कोई भी संगठन जो आतंकी वारदात में शामिल हो, आतंकवाद को बढ़ावा देता हो या लोगों को आतंकवाद के लिए उकसाता हो तो उसे प्रतिबंधित किया जाता है। पीएफआई को इसी के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
आतंकी संगठन घोषित होने के बाद केंद्रीय एजेंसियों और राज्यों की पुलिस को संबंधित संगठन के सदस्यों की गिरफ्तारी, खातों को फ्रीज करने और यहां तक कि संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार होता है। यानी एजेंसियां अब पीएफआई और उसके नेताओं की संपत्तियों को जब्त भी कर सकती है। 2016 में जब केंद्र सरकार ने जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) को प्रतिबंधित किया था तब नाइक के बैंक अकाउंट और अचल संपत्तियों को भी जब्त कर लिया था।
यूएपीए की धारा 10 के अनुसार, किसी भी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होना अपराध है। अगर कोई शख्स किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ा हुआ पाया जाता है तो उसे 2 साल की कैद की सजा हो सकती है। मामला गंभीर हो तो दोषी को आजीवन कारावास और यहां तक कि कुछ परिस्थितियों में मौत की सजा भी हो सकती है। हालांकि, प्रतिबंधित संगठन घोषित होने से पहले जो उसके सदस्य बने थे, उन पर कार्रवाई नहीं होगी, बशर्ते कि वे बैन के बाद उस संगठन से दूरी बना लें।
धारा 10 यह भी कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य बना रहता है, उसकी बैठकों में हिस्सा लेता है या उसके लिए काम करता है या उसकी किसी भी तरह से मदद करता पाया जाता है तो उसे दो साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है। जाहिर है कि अब पीएफआई और उससे जुड़ीं प्रतिबंधित संगठन अब अपनी गतिविधियां नहीं चला पाएंगे। अगर वे ऐसा करते हैं तो वह गैरकानूनी होगा और उसमें शामिल सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
यूएपीए के अनुसार अगर प्रतिबंधित संगठन के किसी सदस्य के पास से हथियार या विस्फोटक मिलते हैं या वह हिंसक गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। गंभीर मामलों में मौत की सजा भी मुमकिन है। यूएपीए के सेक्शन 7 के अनुसार, गैरकानूनी गतिविधियों से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल नहीं हो सकता। यानी प्रतिबंध लगने के बाद अब पीएफआई के खातों में जमा रकम को सरकार फ्रीज कर सकती है। अब उसके लिए फंडिंग अपराध की श्रेणी में आएगा।
यूएपीए की धारा 8 केंद्र सरकार को यह अधिकार देती है कि वह किसी जगह को ‘गैरकानूनी गतिविधियों से जुड़ा हुआ’ घोषित कर सकती है। यहां यह ‘जगह’ कोई इमारत हो सकती है, उसका कोई हिस्सा हो सकता है, कोई घर हो सकती है और यहां तक कि कोई टेंट भी हो सकता है। स्थानीय डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को केंद्र की तरफ से घोषित गैरकानूनी गतिविधियों वाली जगहों पर मौजूद हर तरह के सामान की सूची बनानी होती है। कोई व्यक्ति उन सामानों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
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