-दबंग नेता ने बदायूं की सहसवान सीट से पर्चा भरा था किंतु अब बेटे लिए नामांकन वापस ले लिया

सेंट्रलडेस्क। बाहुबली डी पी यादव क्या राजनीति से सन्यास ले रहे हैं , यह सवाल इस हर जुबान पर है किंतु जानकारों का मानना है कि अब वह सिर्फ दिल्ली की राजनीति करेंगे । उत्तर प्रदेश की सियासत में वह बेटे कुणाल यादव को आगे ला रहे हैं।उन्होंने ने बदायूं की सहसवान सीट से अपनी पत्नी उर्मिलेश यादव और बेटे कुणाल के साथ 25 जनवरी को नामांकन कराया था किंतु सोमवार 31 जनवरी को पति -पत्नी ने पर्चा वापस ले लिया।
अब उनकी पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल की ओर से कुणाल यादव मैदान में बचे है। डी पी यादव ने 2002 में उस समय खुद राष्ट्रीय परिवर्तन दल बना लिया था जब उन्हें किसी दल ने टिकट नहीँ दिया था । 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से 45 उम्मीदवार खड़े किए थे किंतु जीत केवल दो सीटों पर मिली । डी पी यादव और उनकी पत्नी उर्मिलेश ही जीत सके थे । पर्चा वापसी की वजह खराब स्वास्थ्य बताया गया है।
यह पहला मौका है जब डी पी यादव ने अपने कदम वापस लिए हैं । उत्तरप्रदेश में यादवों की राजनीति में उनका नाम एक दबंग नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने मुलायम सिंह यादव जैसे दिग्गज नेता के आगे भी घुटने नहीँ टेके। लेकिन इस बार उन्होंने अंतिम समय में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। यह पहला मौका है जब कुणाल चुनाव मैदान में उतरे हैं। कुणाल अब तक यदु शुगर मिल के निर्देशक के रूप में काम देख रहे थे।
डीपी यादव नोएडा के छोटे से गांव शरफाबाद में एक किसान के घर पैदा हुए थे।उनके पिता का दूध का व्यवसाय था।डीपी यादव ने दूध के कारोबार से अपना करियर शुरू किया। बाद में चीनी मिल और पेपर मिल लगा लिया । उन्होंने शराब और शराब से जुड़े अन्य कारोबार भी जमकर हाथ आजमाया। वक्त के साथ डीपी यादव का रसूख और कारोबार दोनों बढ़ता गया।
डीपी यादव होटल, रिसॉर्ट, टीवी चैनल ,पावर प्रोजेक्ट ,खदाने और कंस्ट्रक्शन जैसे कारोबार में भी भाग्य आजमाया और खूब पैसा कमाया । डीपी यादव ने कई स्कूल और कॉलेज भी बनवाए हैं।वह तीन बार विधायक, मंत्री, लोकसभा ,राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। सम्प्रति अपनी पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। कुणाल की पत्नी ने उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है । वह घर – घर प्रचार कर रही हैं