Desk : उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे चार साल की बच्ची से दुष्कर्म में दोषी 21 वर्षीय युवक को अदालत ने 22 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अन्य धाराओं में भी जेल और जुर्माना किया है। पॉक्सो अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला महज 24 दिन में आया है। नरैनी कोतवाली क्षेत्र के एक मोहल्ला निवासी पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 22 जुलाई की शाम करीब चार बजे चार वर्षीय बेटी घर के बाहर खेल रही थी। आरोपी फरीद उसे टॉफी दिलाने के बहाने अपने घर ले गया और दुष्कर्म किया। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध पॉक्सो और दुष्कर्म सहित कई संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी।
आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। इस केस में अभियोजन की ओर से पांच गवाह पेश किए गए। गुरुवार को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अनु सक्सेना ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी। पत्रावलियों का अवलोकन किया। आरोपी फरीद को दुष्कर्म का दोषी पाते हुए 22 साल जेल की सजा सुनाई। 20 हजार रुपये जुर्माना किया। पाक्सो एक्ट में भी दोषी को 22 साल की जेल और 20 हजार रुपये जुर्माना से दंडित किया। सभी सजाएं साथ चलेंगी। जुर्माने की आधी रकम पीड़िता को देने के आदेश दिए हैं। फैसले के दौरान आरोपी फरीद अदालत में मौजूद था।
समाज में ऐसे कृत्यों के लिए माफी नहीं दी जा सकती
बांदा विशेष लोक अभियोजक कमल सिंह गौतम ने इस मामले की पैरवी की। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में पहले कभी 24 दिनों में निर्णय नहीं हो पाया है। बचाव पक्ष की दलीलों के दौरान अदालत ने कहा कि किसी मासूम से दुष्कर्म करना बहुत ही घिनौना कृत्य है। समाज में ऐसे कृत्यों के लिए माफी नहीं दी जा सकती है।
निर्णय आने पर परिजनों ने किया शोर-शराबा
गुरुवार को निर्णय सुनाए जाने के दौरान दोषी फरीद के परिजन भी अदालत में उपस्थित थे। विशेष न्यायाधीश के निर्णय सुनाते ही परिजनों ने शोर-शराबा शुरू कर दिया। दोषी फरीद ने भी आदेश पत्र में हस्ताक्षर बनाने से मना कर दिया। न्यायाधीश से फरियाद सुनने की अपील की। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप पर दोषी ने हस्ताक्षर बनाए। परिजन भी शांत हो गए।
अदालत में ऐसे चली सुनवाई
- 5 सितंबर : अदालत में चार्ज बना।
- 9 सितंबर : पिता और बालिका के बयान दर्ज किए गए।
- 10 सितंबर : नरैनी सीएचसी महिला डॉक्टर के बयान हुए।
- 15 सितंबर : विवेचना अधिकारी नरैनी कोतवाली इंस्पेक्टर मनोज शुक्ला के बयान दर्ज हुए।
- 16 सितंबर : एफआईआर लेखक के बयान लिए गए।
- 17 सितंबर : आरोपी फरीद के बयान हुए।
- 18 सितंबर : अदालत में अभियोजन की बहस हुई। बचाव पक्ष की गवाही पूरी हुई।
- 23 सितंबर : अदालत में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस पूरी हुई।
- 29 सितंबर : विशेष न्यायाधीश ने सजा सुनाई।