एलआईसी लाल बंगला के शाखा प्रबधंक आठ लाख के खेल से पल्ला झाडा

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-प्रकरण पर बात करने से किया मना
-अभिकर्ताओं की वसूली पर बोले, हमें मिला कटौती करने का पत्र
-घटनाक्रम पर बोले वरीय अधिकारियों से करें बात
-परेशान एजेन्ट बोले वसूूली प्रकरण पर नहीं बैठेंगे शांत

कानपुर/अखिलेश मिश्रा। एलआईसी की लाल बंगला शाखा के अंदर हुआ आठ लाख का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्तमान शाखा प्रबंधक से इस संदर्भ में बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने तत्काल समस्त प्रकरण से पल्ला झाडते हुए कहा कि यह दस साल पुराना मामला है। इसलिए हमारी जानकारी में नहीं है। हमेें भारतीय जीवन निगम के वरीय अधिकारियों से कटौती का पत्र प्राप्त हुआ है। जिसके आधार पर हम शाखा से जुडें अभिकर्ताओं के आने वाले कमीशन से रिकवरी कर रहे है।

हालांकि कटौती के खिलाफ अभिकर्ताओं ने एकजुट होकर इस वसूली के विरोध का मन बना लिया है। सम्पूर्ण प्रकरण के बारे में एकबार फिर आपकों अवगत कराते दे कि, 2010-2011 के समय शाखा में तैनात वरीय अधिकरी और कुछ अन्य कर्मचारियों ने पॉलिसी का टारगेट पूरा करने के लिए एक रणनीति के तह्त योजना बनाकर शाखा से जुडे 43 अभिकर्ताओं पर दवाब बनाकर जो पॉलिसी बंद हो गयी थी या फिर जिनके चार साल में रिटर्न देने का प्रावधान था या फिर लोन जैसी समस्या के कारण विवादित थी।

उन सभी पॉलिसियों की पहले से सूची बनाकर जिनका लगभग राशि आठ लाख थी को दोबारा पॉलिसी में डायर्वजन का जिम्मा दिया गया। शाखा के वरिष्ठ अभिकर्ता जितेन्द्र विश्वकर्मा और सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि अधिकारी ने यहां तक कहां की अगर आप अपना काम सफलता पूर्वक नहीं करेंगे तो आपका एजेंसी वापस ले ली जायेगी। परेशान 43 अभिकर्ताओं ने अपने जीविका के लिए सभी पॉलिसी धारकों से अनुरोध किया और जो राशि नियमानुसार उन्हें शाखा से मिलने वाली थी वह प्राप्त हो गयी का लिखित दस्तावेज दिया।

जिसकों शाखा प्रबंधक और अन्य कर्मचारियों ने बडी सफाई से अपने पत्रावलियों में लगाकर रिकार्ड दुरूस्त कर लिया और नयी पॉलिसी जो कि लगभग आठ लाख के राशि की थी उन्हें दोबारा नयी पॉलिसी बनाकर धारक को पोस्ट कर दिया। सीनियर अभिकर्ता जितेन्द्र विश्वकर्मा बताते है कि इस पूरे प्रकरण के संदर्भ किसी भी बीमाधारक ने किसी भी प्रकार का कोई भी शिकायत संबंधी आवेदन शाखा आजतक नहीं दिया। पूरा घटना क्रम दस साल पुराना हो गया। पूरे दस साल के समय में बीस बार नियमानुसार आडिट हो चुका है।

लेकिन कोई परेशानी नहीं हुर्ह। अब अचाकन इसबार की आडिट में मामला ओपन हो गया। जिसके कारण वरीय अधिकारियों ने अपने साथियों को बचाते हुए सारी गाज अभिकर्ताओं पर मढ दी। इतना हीं नहीं वरीय अधिकारियों के आदेश से वसूली तक का फरमान जारी हो गयी। वर्तमान समय में हालात यह है कि सभी एजेन्टों के कमीशन से राशि उडायी जा रही है।

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