-सातवें साल में करीब लाखों रुपए हो गया बकाया
कानपुर, भूपेंद्र सिंह। यूपीसीए ग्रीनपार्क में अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों के माध्यम से भले ही लाखों-करोड़ों की कमाई करे, लेकिन वह ग्रीन पार्क में अपनी ओर से प्रयोग की जाने वाली जगहों और दर्शक दीर्घाओं की सीवर व वाटर टैक्स की चोरी करने से बाज आता नही दिखायी दे रहा है। लीज पाने के सातवें साल में भी वह सरकार को चूना लगाता दिखायी दे रहा है। वह चोरी से पानी का भी इस्तेमाल कर रहा है। जलकल विभाग को एक पैसा टैक्स नहीं दे रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता ने नगर विकास मन्त्रालय को पत्र के माध्य्म से अवगत करवाया है कि सरकार को लाखों का चूना लगाया जा रहा है तो नगर निगम में जनसूचना दाखिल कर बार फिर से यूपीसीए के लिए मुसीबत खडी कर दी है। गौरतलब है कि सरकार के साथ एमओयू में एग्रीमेंट है कि ग्रीन पार्क मे जो भी अधिकार क्षेत्र उसके पास है उसपर लगने वाले हर टैक्स का भुगतान यूपीसीए ही करेगा।
30 साल के लिए लीज पर
सन् 2015 में सपा सरकार ने यूपीसीए को 30 साल के लिए ग्रीन पार्क लीज पर दिया है। लीज पर लेने के बाद से यूपीसीए ने सीवर व वाटर टैक्स ही नहीं दिया। नियमों के मुताबिक यदि कोई भवन अथवा कॉम्प्लेक्स वाटर लाइन के 600 मीटर परिधि में है तो उसे वाटर टैक्स देना अनिवार्य है। सात साल के अंदर यूपीसीए पर लगभग दसियों लाख रुपए टैक्स चोरी का मामला बनता दिखायी दे रहा है।
एमओयू में है स्पष्ट
इस बकाए के भुगतान के लिए जलकल की तरफ से कहा गया, लेकिन यूपीसीए ने तवज्जो नहीं दी थी। जोन 4 के अधिकारियों को ग्रीनपार्क के अधिकारियों से शायद बडी रकम रिश्वीत के तौर मिलती रही है तभी यूपीसीए से अभी तक वसूली नही की जा सकी है। वरिष्ठ अधिवक्ता नौशाद अहमद ने इस संबंध में आरटीआई के जरिए नगर निगम से एक बार फिर से सूचना मांगी है। अब देखना है कि आरटीआई का जवाब नगर निगम के अधिकारी किस रूप में देते हैं। जबकि एमओयू में वाटर टैक्स देने की लाइबेल्टी यूपीसीए को देने के लिए ही साफ तौर पर इंगित किया गया है। नगर निगम ग्रीनपार्क में प्रयोग करने वाले आधिकारिक क्षेत्रों के लिए यूपीसीए को नोटिस भेजेगा या फिर वसूली के लिए कठोरता दिखाएगा ये अधिकारियों पर ही निर्भर है।