वाराणसी, बीपी प्रतिनिधि। ज्ञानवापी मस्जिद की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होने के साथ ही लीक होने का दावा किया जा रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोअर कोर्ट मामले पर फिलहाल कोई फैसला न ले। कल यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट मामले की आगे की सुनवाई करेगा। गुरुवार को पांच मिनट की सुनवाई के बाद मामला में अगली तारीख दे दी गई है।

लीक रिपोर्ट का दावा यह है कि मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है। यह भी दावा किया जा रहा है कि ढाई फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा है। उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया।
इसी लीक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि हिंदू पक्षकार ने मुंशी एजाज से फव्वारा चालू करके दिखाने को कहा। लेकिन मुंशी एजाज ने फव्वारा चलाने में असमर्थता जताई। कथित फव्वारे पर मस्जिद कमेटी ने गोल मोल जवाब दिया।
वहीं दावा किया गया है कि , मस्जिद में मुख्य गुंबद के नीचे दक्षिणी खंभे पर स्वास्तिक का चिह्न मिला है। मस्जिद के पहले गेट के पास तीन डमरू के चिह्न मिले। उत्तर-पश्चिम दिशा में 15 बाई 15 फीट का एक तहखाना दिखा, जिसके ऊपर मलबा पड़ा था। दावा है कि वहां पड़े पत्थरों पर मंदिर जैसी कलाकृतियां दिखीं।
यह भी बताया गया है कि मस्जिद के भीतर हाथी के सूंड़, त्रिशूल, पान, घंटियां दिखीं। मुख्य गुंबद के नीचे दक्षिणी खंभे पर स्वास्तिक का चिह्न मिलने का भी दावा है। यह भी दावा किया गया है कि मस्जिद के पहले गेट के पास तीन डमरू के चिह्न मिले। उत्तर-पश्चिम दिशा में 15 गुणा15 फीट का एक तहखाना दिखा, जिसके ऊपर मलबा पड़ा था, वहां पड़े पत्थरों पर मंदिर जैसी कलाकृतियां। साथ ही तीन फीट गहरा कुंड मिला। जिसके कुंड के चौतरफा 30 टोटियां लगी थीं।
कुंड के बीच में लगभग 6 फीट गहरा कुआं दिखा। कुआं के बीचो-बीच गोल पत्थरनुमा आकृति दिखी। बाहर विराजमान नंदी और अंदर मिले कुंड (जिसके एक पक्ष द्वारा शिवलिंग स्थापित बताया जा रहा है।) के बीच की दूरी करीब 83 फीट है।
दावा है कि रिपोर्ट में उल्लेख है कि खंभे में हिंदी भाषा में सात लाइनों में खुदा हुआ है। 4 दरवाजे के स्थान को नई ईंटों से बंद किया गया है। बेसमेंट की दीवार पर सनातन संस्कृति के चिह्न हैं। चौथे तहखाने की चाबी न मिलने पर कटर मंगवा कर उसका ताला काटा गया था। उसके आगे जाने पर मलबे से भरा छोटा तहखाना मिला, जहां जा पाना संभव नहीं हुआ।
दावा है कि यह बातें एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह की 8 पन्नों की रिपोर्ट में है। गौरतलब है कि विशाल सिंह ने 14 से 16 मई के बीच शृंगार गौरी-ज्ञानवापी में सर्वे किया था। बताते हैं कि विशाल सिंह ने रिपोर्ट के आखिर में जिक्र किया कि सर्वे पूरा नहीं हो सका है। सर्वे अभी जारी रहना चाहिए।
कथित रिपोर्ट में हिंदू पक्ष की तरफ से मुहैया कराए एक नक्शे का भी जिक्र है। बताया जा रहा है कि वह नक्शा प्रोफेसर एएस अल्तेकर की किताब हिस्ट्री ऑफ बनारस और जेम्स प्रिंसेप की किताब द बनारस ऑफ जेम्स प्रिंसेप बुक से लिया गया है। दोनों किताबों में पुराने आदि विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा है।
इसके पहले पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा बुधवार को ही अदालत में दाखिल कर चुके हैं। उन्होंने 2 पन्नों की रिपोर्ट में लिखा है कि मस्जिद के भीतर शेषनाग की आकृति के अलावा देव विग्रह, मंदिर का मलबा और हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियों का जिक्र है।
मिश्रा की अगुआई में 6 और 7 मई को सर्वे की कार्रवाई हुई थी। इसके बाद 14 से 16 मई तक तीन एडवोकेट कमिश्नर की मौजूदगी में ज्ञानवापी का सर्वे हुआ था। अजय मिश्रा ने बताया कि वीडियोग्राफी से संबंधित चिप राज्य कोषागार में रखी गई है।