बेड पर लेटकर करना था मरीज बनने का नाटक, इंजेक्शन ने बिगाड़ा खेल

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लखनऊ/अनुपम दीक्षित। उच्च शिक्षा में चाहे वह मेडिकल हो अथवा इंजीनियरिंग, निजी क्षेत्र कमाई के लिए कैसे हथकंडे अपनाता है, मंगलवार को इसका उदाहरण राजधानी लखनऊ में देखने को मिला। एमसीआई की मान्यता के लिए मजदूरों को मरीज बनाकर लिटाने का सनसनीखेज मामला मंगलवार प्रकाश में आया है। एमसी सक्सेना ग्रुप आफ कालेज परिसर स्थित आरआर सिन्हा हास्पिटल में मजदूरों को ही मरीज बना कर बेड पर लिटा दिया गया।

मजदूरों की संख्या एक-दो नहीं बल्कि 250 थी। इतना ही नहीं मेडिकल स्टाफ ने स्वस्थ मजदूरों को बिना किसी बीमारी के ही वीगो और इंजेक्शन भी लगा दिए। इस पर मजदूर भड़के और उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। एक मजदूर शौच के बहाने बाहर निकला। बाउंड्री वाल फांदकर वह भागा और उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस और मेडिकल टीम ने छापेमारी कर सभी मजदूरों को बंधन मुक्त कराया।

डीसीपी पश्चिमी सोमेन बर्मा ने बताया कि सीतापुर कोतवाली देहात शाह महोली के रहने वाले मजदूर अंशू की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर अस्पताल संचालक एमससी सक्सेना के बेटे शेखर सक्सेना को गिरफ्तार कर लिया गया है। मजदूर दीपक प्रकाश निवासी निशातगंज ने बताया कि सुबह अस्पताल से कुछ लोग जानकीपुरम, गुडंबा, सीतापुर रोड और डालीगंज, इंजीनियरिंग कालेज समेत कई मंडियों से करीब 250 मजदूरों को मजदूरी कराने की बात कहकर अस्पताल ले गए। यहां पहुंचने पर अस्पताल के कोआर्डिनेटर ने कहा कि उन्हें मजदूरी नहीं करनी है।

सिर्फ बेड पर मरीज बनकर लेट जाना है। उन्हें प्रति व्यक्ति 500 रुपये के हिसाब से शाम को रुपए दिए जाएंगे और तीन समय का खाना मिलेगा।अगले दिन अगर वह फिर आएंगे तो उन्हें फिर रुपये और खाना दिया जाएगा। मजदूर बेड पर लेट गए। कुछ देर बाद मेडिकल स्टाफ ने उन्हें वीगो लगानी शुरू कर दी। करीब 30-40 मजदूरों को वीगो और इंजेक्शन लगाए गए। मेडिकल स्टाफ ने मजदूरों की मेडिकल फाइल भी बना दी थी।

यह देख अन्य मजदूर भड़क गए। विरोध करते हुए हंगामा किया तो उन्हें धमकाकर बंधक बना लिया गया। अंशू ने बताया कि डाला (छोटा हाथी) में बड़ी संख्या में मजदूरों को लाया गया था। जब मजदूरों को फंसता देखा तो मैनें शौच जाने का बहाना किया। इसके बाद वह बाहर निकला। भागकर किसी तरह बाउंड्री वाल फांदकर वह बाहर निकला और थाने पहुंचकर सूचना दी। एडीसीपी चिरंचीव नाथ सिन्हा ने बताया कि मजदूर से सूचना मिलते ही मेडिकल टीम को जानकारी दी गई। इसके बाद पांच से छह थानों का पुलिस बल और सीएमओ की टीम ने पहुंंचकर छापेमारी की।

छापेमारी के दौरान मजदूरों को बंधन मुक्त कराया गया। एडीसीपी ने बताया कि संचालक एमसी सक्सेना के बेटे शेखर सक्सेना समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि अन्य आरोपितों की तलाश में दबिश दी जा रही है। मामले की कई अन्य बिंदुओ पर भी जांच की जा रही है। पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि पिछले कई दिनों से ये खेल चल रहा था।

कालेज की मान्यता के लिए शेखर सक्सेना ने मजदूरों को फर्जी तरीके से भर्ती किया था। मान्यता के लिए मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) की टीम का निरीक्षण होना था। इस लिए एमसीआई के मानक के अनुसार मजदूरों की भर्ती की जा रही थी। जिससे टीम के निरीक्षण के दौरान मरीज भर्ती मिलें। वहीं, इंस्पेक्टर ठाकुरगंंज हरिशंकर चंद्र ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मिले 13 मजदूरों का मेडिकल कराया गया है।

मौके पर 100 से अधिक पुरुष के साथ-साथ करीब 35 महिला मजदूर मिली थीं। जिन्हें इलाज के लिए लाया गया था।अस्पताल से ईसीएमओ नदारदः पुलिस की टीम मेडिकल कराने के लिए 13 मजदूरों को लेकर ठाकुरगंज सिविल अस्पताल पहुंची। जहां मेडिकल करने के लिए कोई भी मौजूद नहीं था। मजदूर मिथलेश ने बताया कि करीब एक घंटे से हम लोग परिसर में बैठे हैं। लेकिन कोई भी मेडिकल नहीं कर रहा है। पुलिस के बार-बार कहने के बाद एक घंटे बाद ईसीएमओ अस्पताल पहुंचे।तब जाकर मजदूरों का मेडिकल किया गया।

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