स्टटेडेस्क। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र को जमानत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा को निजी मुचलके और दो जमानत पत्र दाखिल करने पर जमानत दे दी है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की है कि कि अगर अभियोजन की पूरी कहानी को स्वीकार किया जाए, तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। ऐसे में यह भी संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई हो और यह घटना घटित हो गई हो। याची की ओर से दलील भी दी गई थी कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें और लाठियां लेकर जमा थे।

बहस के दौरान यह भी कहा गया था कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढाने के लिए उकसाया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि थार गाड़ी में बैठे तीन लोगों की हत्या को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। केस डायरी के साथ मौजूद फोटोग्राफ्स से पता चलता है कि ड्राइवर हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की हत्या प्रदर्शकारियों ने कितनी निर्दयता से की है। उल्लेखनीय है कि इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन की निगरानी में हुई है।
वहीं, जांच को महाराष्ट्र के एडीजी इंटेलिजेंस एसबी शिराडकर ने आईपीएस अधिकारियों डॉ. प्रीतिंदर सिंह व पद्मजा चौहान ने सुपरवाइज किया है। आपको बतातें चलें कि आशीष लखीमपुर में किसानों को थार गाड़ी से रौंदने के मामले में मुख्य आरोपी था। वह 130 दिन से जेल में बंद है। हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2022 को आशीष की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस पर आज जस्टिस राजीव सिंह सिंह की एकलपीठ ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर में आरोप है कि आशीष मिश्र गाड़ी बाईं सीट पर बैठा गोली चला रहा था और उसकी गोली से गुरविंदर सिंह नाम के एक शख्स की मृत्यु भी हुई। जबकि मृतकों अथवा घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली की चोट नहीं आई है। घटना में कुल 8 की मौत हुई थी। इसमें 4 भाजपा कार्यकर्ता, 3 किसान और एक पत्रकार था।13 लोग घायल भी हुए थे। कोर्ट ने अपने आदेश में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट व पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान का भी जिक्र किया है।
जिला प्रशासन को लगाई फटकार
कोर्ट ने खीरी जिला प्रशासन की भी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के कुछ लोगों ने राजनीतिक फायदे के लिए बेगुनाह लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुला लिया, जबकि सीआरपीसी की धारा 144 पहले से लागू थी। हजारों लोगों को दूसरे जनपदों और यहां तक कि दूसरे राज्यों से बुलाया गया और यह बात जिला प्रशासन को अच्छी तरह पता थी। बावजूद इसके उसने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और न ही आयोजनकर्ताओं पर कोई कार्रवाई की। कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि इस प्रकार के जमावड़े और प्रदर्शन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
वकील की दलील- ड्राइवर को उकसाने के सबूत नहीं
कोर्ट में सुनवाई के दौरान आशीष के वकील ने कहा कि उसका क्लाइंट निर्दोष है। इस बात के कोई सबूत नहीं है कि आशीष मिश्र ने ड्राइवर को प्रदर्शनकारी किसानों को गाड़ी से रौंदने के लिए उकसाया था। वहीं, जमानत का विरोध करते हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल वीके शाही ने कहा कि घटना के वक्त आशीष मिश्र उसी गाड़ी में था, जिसने किसानों को रौंदा था।