शाहजहाँपुर, चंद्रकांत दीक्षित। 25 किलो से कम वाले पैकेट बंद अनाज , दालों पर 18 जुलाई से केन्द्र सरकार ने गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) लगा दिया था । पीएम की कृपा से 25 किलो से अधिक वजन वाले और खुले अनाज , दालों को जीएसटी से मुक्त रखा गया था , मतलब खुले में कीमतें नही बढ़नी चाहिए थीं , लेकिन स्वार्थी थोक , खुदरा व्यापारियों जीएसटी की बढ़ी दरों की आड़ में खुले में भी कीमतें बढ़ा दी हैं सरकारी निगरानी सदैव की भाँति ढाक की तीन पात।
सरकार , प्रशासन सिर्फ जुमलेबाजी करने में डटा है कोई ठोस , त्वरित कार्यवाही नही कर रही ! आटा 50 से 100 किलो , अरहर दाल 30 किलो , चावल 25 किलो की पेकिंग में आता है स्पष्ट है इन पर जीएसटी नही लगी है फिर बाजारो में इन पर मंहगाई कैसे बढ़ गयी ! जाहिर है सरकार सिर्फ घोषणाएँ करके अपना पल्ला झाड़ लेती है प्रशासनिक अधिकारी बाजारों पर नियन्त्रण न करके मात्र खानापूरी कर रहे हैं और लगातार बढ़ रही कीमतों पर रोकथाम का कोई प्रयास नही कर रहे है।
जमाखोरी बढ़ती जा रही है गोदामों का निरीक्षण नही हो पा रहा है फुटकर में आटा 25 की 32 / अरहर दाल 100 से 110/ सरसों तेल 150से 160/ चावल 30 से 35/ लाल मिर्च 230 से 260/ मैदा 25 से 35/ बिकने लगा है गेहूँ 3000 आटा 6000 कु० थोक में आने लगा है कम्पनियों , व्यापारियों ने डिब्बा बंद अनाज आदि पर भी पैकिंग सीमा की आड़ में खुले के भी रेट बढ़ा दिए हैं।
इससे उपभोक्ता की जेब पर असर पड़ रहा है पिछले एक महीने से मंहगाई ने रिकार्ड तोड़ डाले हैं प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने भी राशन वितरण नही किया है गरीब के पास खाद्यान्न नही रह गया है बड़ी २ बातें करने बाले शुतुरमुर्ग की तरह मुँह छिपाकर बैठे हुए हैं। प्रदेश सरकार को जनहित में बढ़ती मंहगाई को शीघ्र रोकने की जरूरत है जनरोष बढ़ता जा रहा है ।