कानपुर, बीपी डेस्क। आयकर विभाग की ओर से घनाराम ग्रुप के प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई अभी भी जारी है। घनाराम ग्रुप और इससे जुड़े बिल्डरों के प्रतिष्ठानों से सवा दो करोड़ की नकदी, दो किलो सोने की ज्वैलरी बरामद की गई है। दस्तावेज न दिखा पाने पर इन्हें सीज कर दिया गया है। इसके अलावा पांच लॉकर और सीज किए गए हैं। एक दिन पहले भी इतने ही लॉकर सीज किए गए थे। ग्रुप के खिलाफ फर्जी बिलिंग के सबूत भी मिले हैं।
वहीं 40 करोड़ से ज्यादा का नकद लेनदेन सामने आया है। इसके अलावा सात साल में हुई जमीन की खरीद की भी जांच की जा रही है। कर चोरी की आशंका में घनाराम इंफ्रा कंपनी के झांसी, लखनऊ, दिल्ली और कानपुर से जुड़े लोगों के 32 प्रतिष्ठानों पर सौ से ज्यादा अफसरों ने बुधवार को कार्रवाई शुरू की थी। घनाराम कंपनी के निदेशक बिशुन सिंह के साथ ही उसके भाई सपा के पूर्व एमएलसी श्याम सुंदर सिंह के प्रतिष्ठानों पर भी छापा मारा गया था।
इसके साथ ही बिल्डर विजय सरावगी, वीरेंद्र राय, संजय अरोड़ा, शिवा सोनी, मयंक गर्ग के कार्यालयों, आवास व प्रतिष्ठानों समेत 25 जगहों पर कार्रवाई की गई थी। सूत्रों के अनुसार इनसे जुड़े तमाम लोगों के बैंक खाते मिले हैं। बड़े स्तर पर लेनदेन हुआ है। इसके अलावा जमीनों, फ्लैट आदि की बिक्री में नकदी ली गई। नकदी किससे ली गई और कहां खपाई गई, इसकी भी जांच की जा रही है। वहीं इनसे जुड़ा सीए दिनेश सेठी अभी भी फरार हो गया है। इसके घर पर ताला पड़ा है। अब विधिक प्रक्रिया के तहत ताला तोड़कर जांच-पड़ताल की तैयारी है।
बता दें कि घनाराम ग्रुप 20 साल से ज्यादा से सरकारी ठेकों पर बांध बनाने और मरम्मत का काम करते आ रहा है। इसके साथ ही अब झांसी में बड़ा मॉल, टॉवर बना रहा है। स्काई टॉवर लगभग बनकर तैयार है। इसके बाद भी इन लोगों ने आय का स्रोत नहीं दिखाया। बहुमंजिला टॉवर में सैकड़ों फ्लैट हैं। इनकी बिक्री भी की जा रही है। ग्राहकों से चेक के साथ ही नकदी ली जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि ग्रुप की ओर से सात साल में की गई जमीनों की खरीद-बिक्री की जांच की जा रही है। इनके झांसी में ही छह प्रोजेक्ट चल रहे हैं। कई सौ करोड़ का निवेश है। यह निवेश कहां से आया, कितने लोगों का पैसा लगा है, इनकी आय का स्रोत क्या है, इसकी जांच अफसरों ने शुरू कर दी है।
ग्रुप जो भी सरकारी ठेका लेता था, उसके कुछ काम दूसरे ठेकेदारों से कराना दिखाता था। हालांकि यह केवल कागजों में ही सीमित था। इस पूरी प्रक्रिया में फर्जी बिलिंग मिली है। इससे सब कॉन्टैक्ट की जांच की जा रही है। कितनी फर्मों को काम दिखाया और कितना भुगतान किया। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।