कानपुर/बीपी प्रितिनिधि। निजी विद्यालयों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। सरकार या प्रशासन स्तर के आदेश को भी निजी विद्यालय आसानी से नहीं मानते हैं। यहां तक कि राइट-टू-एजूकेशन पॉलिसी यानि आरटीई को भी दरकिनार कर दे रहे हैं।
लिस्ट में नाम होने के बाद भी स्कूल एडमिशन देने को तैयार नहीं हैं। यह मामला जब कानपुर जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर के सामने आया तो उन्होंने सख्ती दिखाते हुए बुधवार को समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने कड़े निर्देश देते हुए कहा कि एसीएम और एबीएसए खुद स्कूल जाएं और एडमिशन कराएं।
विदित हो कि जिले में 355 अभिभावकों ने शिकायत की थी कि उनके बच्चों के नाम स्कूल में आने के बाद भी प्राइवेट स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया। डीएम ने जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि इसकी जांच भी कराई जाए कि स्कूलों ने एडमिशन क्यों नहीं दिया।
डीएम ने कड़े निर्देश दिए कि आरटीई के तहत होने वाले एडमिशन की मॉनिटिरिंग एबीएसए स्वयं करें। सभी एबीएसए कार्यलाय और बीएसए कार्यालय में आरटीई के लिए हेल्प डेस्क बनाई जाए। अभिभावकों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करते हुए एडमिशन कराया जाएगा। मीटिंग में बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. पवन कुमार भी मौजूद रहे।
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