कानपुर/भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन वैसे तो प्रदेश की क्रिकेट टीम संचालित करने के लिए ही जानी जाती रही है। इससे अलग संघ ने हाल ही में नए प्रकार की टीम का गठन करना भी प्रारम्भ कर दिया है। यूपीसीए ने पहले खिलाड़ियों फिर अधिवक्ताओं और अब निदेशकों की प्लेइंग इलेवन बना डाली है।
निदेशक मण्डल का गठन अब सत्ता को पाने के लिए किया गया है जिससे सितम्बर महीने में होने वाले चुनाव में पूर्व सचिव के समर्थन में वोटिंग की जा सके। गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से पूर्व और प्रदेश के मध्य के हिस्सें वाले क्षेत्रों से संघ में सदस्यों को दरकिनार कर दिया गया था जो पूर्व सचिव के लिए थोडी परेशानी का सबब था उनकी नाराजगी दूर करने के लिए इन क्षेत्रों के सदस्यों को टीम का हिस्सा बना दिया गया है।
अब इनके गठन के बाद से वह मजबूत स्थिति में आ जाएंगे। इसके बनने के बाद अब निदेशक वह कार्य आसानी से कर सकेंगे जिसके लिए उन्हे पूर्व के निदेशक मण्डल की अनुमति का इन्तजार हमेशा रहता था। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है कि प्रदेश क्रिकेट संघ के निदेशकों का दल का गठन किए जाने के बाद से पदाधिकारियों की उम्र का बन्धन भी समाप्त हो जाएगा और वह खेल के भीतर खेल करने को हमेशा से तैयार रहेंगे।
गौरतलब है कि बीते 6 महीने पूर्व संघ ने लगभग एक दर्जन से अधिक अधिवक्ताओं की इलेवन हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमों की पैरवी करने के लिए उतार दी थी।प्रदेश के क्रिकेट संघ पर पूर्व सचिव का ही कब्जा बरकरार रहे इसलिए एक दर्जन निदेशकों की टीम प्रदेश संघ में मचे घमासान के निराकरण के लिए उतार दी गई है। पूर्व में राजीव शुक्ला के निदेशक पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद निदेशकों की संख्या कम हो गयी थी, जिससे उनको अपनी सत्ता जाती दिखायी दे रही थी।
बीते गुरुवार को फिरोजाबाद में लगभग 6 सदस्यों को यूपीसीए का निदेशक बना दिया गया। कम्पनी एक्ट में पंजीकृत संघ में सेंध न लगे इसके लिए अध्यक्ष और सचिव को भी निदेशक मण्डल में डालना पड गया। यह टीम अब एपेक्सं कमेटी से ऊपर कार्य करेगी। यही नहीं वह जिला संघों में सत्ता पर काबिज लोगों को जीत दिलाने में भी भरसक कोशिश करेगी इसके लिए यूपीसीए उनको मुंहमांगी मुराद भी पूरी करने को राजी हो गया है।
बतातें चलें कि निदेशकों की टीम के एक–एक सदस्य के लिए वह लाखों रुपए जिला संघों की देख रेख के लिए आवन्टित कर दिए गए हैं। टीम सत्ता को बचाने के लिए हर संभव प्रयास भी कर रही है। गौरतलब है कि एजीएम समेत चुनाव और लोढा समिति की सिफारिशों को सही तरीके से पालन न करने और एपेक्स कमेटी को हर मामले से दूर रखने को लेकर उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ कुछ सदस्य खासे नाराज चल रहे हैं।
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सत्ता पर काबिज टीम पूरी तरह से विरोधी खेमे को मिटाने में जुटी है जिसके लिए लाखों रुपए खर्च कर उसने अधिवक्ताओं की टीम का गठन किया जब इस पर भी बात बनते नही दिखायी दी तो संघ ने निदेशकों की भी टीम बना डाली। यूपीसीए के एडिशनल नोडल अधिकारी आशु मेहरोत्रा ने बताया कि कम्पनी ऑफ रजिस्ट्रार में यूपीसीए का पंजीकरण कम्पनी एक्ट में है और इसमें निदेशक ही पावर में रह सकते हैं। संघ में चल रहे विवाद का निपटारा अब कम्पनी के निदेशक मण्डल की बैठकों के जरिए ही होगा। संघ के वर्तमान पदाधिकारियों को पूरा भरोसा है कि निदेशक अपने कार्य को बखूबी से अंजाम देंगे।