कानपुर/भूपेंद्र सिंह। ग्रीनपार्क स्टेडियम में वर्ष 1975 से चल रहे क्रिकेट छात्रावास ने कई अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटरों को जन्म दिया है। कोरोनाकाल के बाद ग्रीन पार्क हॉस्टल की रौनक एक बार फिर से लौटने को बेताब हो रही है।
खेल निदेशालय ने अब एक बार फिर से छात्रावास में प्रवेश के लिए खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। बीते 3 दिनों से खेल निदेशालय के तमाम क्रिकेट विशेषज्ञ खिलाड़ियों प्रतिभा को तलाशने का काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि ग्रीन पार्क छात्रावास से कई अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय खिलाड़ियों को प्रसिद्धि दिलाई है जिसमें गोपाल शर्मा, ज्ञानेन्द्र पान्डेय, ज्योति यादव और मोहम्मद कैफ के अलावा जूनियर इन्डिया खेल चुके तन्मय श्रीवास्तव का नाम क्रिकेट जगत में प्रसिद्ध है।
कोरोनाकाल में बन्द हुए छात्रावास को अब खिलाडियों के लिए एक बार फिर से खोल दिया गया है। ग्रीन पार्क छात्रावास अब एक नए सिरे से स्थापित होने के मुहाने पर है। प्रदेश के सभी क्रिकेट खेल छात्रावास की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू हो गई है। बीते 3 दिनों में इनमें प्रवेश के लिए चयन प्रक्रिया का शुभ आरंभ भी खेल निदेशक के निर्देश पर शुरू हो गया है।
ग्रीनपार्क छात्रावास का नाम देश विदेश के क्रिकेट जगत में भी बहुत ही मशहूर है। इस छात्रावास में रह कर अपने क्रिकेट कैरियर को चार चांद लगाने वाले सबसे पहले अन्तर्राष्ट्रीय मंच को सुशोभित करने वाले गोपाल शर्मा रहे। इसके बाद तो कई नामचीन खिलाडियों ने इस छात्रावास का नाम रोशन किया है।
इसके अलावा ग्रीनपार्क छात्रावास के खिलाडियों ने प्रदेश की रणजी ट्राफी टीम में सम्मिलित होकर खेल विभाग और निदेशालय को गौरवान्वित किया है। लेकिन, इसका अब दूसरा पहलू भी सामने आ गया है। साल 2007 के बाद से खेल विभाग और यूपीसीए के बीच बढे मनमुटाव के चलते अब प्रदेश की टीम में इस छात्रावास का कोई भी खिलाडी प्रवेश नही पा सका है।
छात्रावास में रहने का मानक : खेल विभाग के प्रदेश में चार क्रिकेट छात्रावास है। यह क्रिकेट छात्रावास फतेहपुर, कानपुर, मेरठ और देवरिया में स्थित है। सभी छात्रावासों में 25-25 खिलाड़ी की क्षमता है। मूल्यांकन के आधार पर इन छात्रावासों में खिलाड़ियों की छंटनी होती है। जबकि नये खिलाड़ियों को छात्रावास में जगह मिलती है।
इस आवासीय क्रिकेट छात्रावास में उन्हीं खिलाड़ियों को जगह दी जाती है, जिन्होंने तीन साल से एक भी बोर्ड ट्राफी या नेशनल स्कूल टूर्नामेंट में भाग लिया हो। खिलाड़ी को पहले तीन साल में बोर्ड ट्राफी (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की अंडर-16, 19 व 25) या स्कूल नेशनल खेलना आवश्यक है, अन्यथा छात्रावास के बाहर कर दिया जाता है।
यदि बोर्ड ट्राफी खेलता है तो दो साल का कार्यकाल बढ़ जाता है। रणजी ट्राफी खेलता है तो एक साल का कार्यकाल और बढ़ा दिया जाता है। भारतीय टीम में शामिल होता है तो एक साल और बढ़ा दिया जाता है। ग्रीन पार्क में अब 25 नए खिलाड़ियों के लिए रहने खाने और पढ़ने की व्यवस्था एक बार फिर से खेल विभाग की ओर से शुरू करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है। दो साल के बाद ग्रीन पार्क खेल छात्रावास में कितने दिनों के बाद रौनक लौटेगी यह भविष्य के गर्भ में है।
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ग्रीनपार्क स्टेडियम के उपक्रीड़ाधिकारी अमित पाल ने कहा कि इंडियन टीम में चयन नहीं होने के पीछे सबसे बड़ी बात खिलाड़ियों का अपने कॅरियर के प्रति दिलचस्पी नहीं लेना है। यही नही यूपीसीए भी अब यहां के खिलाडियों में रुचि नही दिखा रहा है। ठीक है कि हमने लंबे समय से इंटरनेशनल स्तर के खिलाड़ी नहीं दिए, लेकिन नेशनल लेवल पर दिए हैं।