कानपुर : जेके समूह और यूपीसीए ने मिलकर की लाखों के राजस्‍व की चोरी

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कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ और जेके जूट मिल के प्रबन्धकों के खिलाफ सरकारी राजस्‍व चोरी का मामला प्रकाश में आया है। बीते साल 2007 से यूपीसीए ने जेके जूट मिल कम्पाउन्ड में स्थित कार्यालय को बनवाने के लिए जिस हथकण्डे का प्रयोग कर इतनी बड़ी चोरी की, अब जांच में दोनों को ही सरकारी स्टाम्प जिसकी कीमत निवर्तमान समय में तीन लाख 94 हजार स्टाम्प की चोरी करने का आरोप सही पाया गया है।

आर्थिक अपराध संगठन इस मामले की जांच बीते दो नवम्बर से कर रहा था जिसकी जांच अब जाकर पूरी हुई है। जांच में यूपीसीए जेके जूट मिल परिसर का प्रयोग गतिविधियों को आयोजित करने के लिए कर रहा था लेकिन वह भी बिना लिखापढ़ी के। आर्थिक अपराध संगठन के जांच अधिकारी ने अपनी जांच में स्टाम्प का उपयोग न कर राजस्‍व चोरी का मामला सही पाया और अपनी रिपोर्ट शासन के पास भेज दी है।

यूपीसीए और जेके को एक सप्‍ताह के भीतर अपना पक्ष रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। अब शासन की ओर से कार्रवाई करने के दिशा-निर्देश भी स्टाम्प विभाग को जारी कर दिए गए हैं। अब वह पेनाल्टी के साथ यूपीसीए से चोरी की रकम वसूल करने के प्रावधान पर अमल में लाने का प्रयास करेगा।

मुख्यालय आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने पाया कि उत्तर प्रदेश शासन के आदेशानुसार यूपीसीए अध्यक्ष द्वारा स्वयं के निजी भूमि जेके जूट मिल परिसर में किराये पर प्राप्त करना दर्शाकर बिना अनुबंध की कार्यवाही किये लाख रुपये वार्षिक किराया का आदान प्रदान कर लाखों रूपये के स्टाम्प चोरी कर राजकीय राजस्व की क्षति कर अपना लाभ प्राप्त किया है।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा जेके काटन मिल के मध्य वर्ष 2007 से किरायेदारी का अनुबंध अक्टूबर, 2000 में तीन वर्ष के लिए किरायेदारी अनुबंध पर हस्ताक्षर किया लेकिन वह भी बिना स्टाम्प पेपर की डील पर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा जेके जूट मिल को किराये के रूप में भुगतान की गयी धनराशि बिना पंजीकृत अनुबन्ध के की गयी है। इससे राजकीय राजस्व स्टाम्प मूल्य क्षति की गयी है।

इस प्रकरण में वर्ष 2007 से 2,42,000 रुपये प्रतिमाह किराये का भुगतान तथा प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ तीन वर्षों तक किया गया। उक्त भुगतान में स्टाम्प शुल्क धनराशि की देय बनती है। नियम विरुद्ध कार्यवाही के लिए अनुबंधकर्ताओं द्वारा स्टाम्प अधिनियम के प्रावधानों का उलंघन साफ तौर पर पाया गया है। यूपीसीए के विरूद्ध कार्यवाही रजिस्ट्रेशन अधिनियम के प्रावधान के अन्तर्गत की जा सकती है।

स्टाम्प चोरी करने के एवज में यूपीसीए को पेनाल्टी समेत अब 10 प्रतिशत के ब्याज के हिसाब से जमा करनी होगी जो लगभग 30 के आसपास बनती नजर आ रही है। अगर यूपीसीए ने राजस्व चोरी की पेनाल्टी नही भरी तो शायद यूपीसीए के कार्यालय में ताला भी पड़ सकता है।

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इस संबंध में आर्थिक अपराध संगठन के जांच अधिकारी सुखदेव सिंह ने कहा कि यूपीसीए और जेके समूह दोनों पक्षों ने किराएदारी अनुबन्ध का पालन सही दिशा में नही किया है, जिससे सरकार के राजस्व को लाखों का झटका लगा है। जांच में यह मामला सही पाया गया है। अब शासन अपने स्तर से कार्रवाई करेगा।