कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। संगीत चिकित्सा ऐसे समय में कारगार साबित होती है जब सभी पैथी इलाज के लिए निष्प्रयोज्य हो जाती है। यह बात छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में संगीत थिरैपी पर आयोजित एफडीपी में वक्ताओं ने संगीत थिरैपी के बारे में महत्व को समझाते हुए कही।
इस दौरान पंडित बिरजू महाराज से लेकर तमाम संगीत विभूतियों के बारे में चर्चा की गई। मौके पर प्रो. लावण्या कीर्ति सिंह ने कहा कि नृत्य तमाम शारीरिक विकारों को ठीक करता है। गायन से गले संबंधी विकार ठीक हो जाते हैं। पेड़-पौधे भी संगीत के प्रभाव से आंनदित होते हैं। उन्होंने कहा कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि आजीविका का साधन भी बन गया है।
तिरंगा अगरबत्ती के प्रमुख नरेंद्र शर्मा ने कहा कि संगीत हमारे जीवन का अभिन्न अंग है और संगीत मानवीय संवेदनाओं को बनाए रखता है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. संजय स्वर्णकार ने कहा कि सुर, लय व ताल ही संगीत है। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. ऋचा मिश्रा ने कहा कि संगीत कला विषय में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं।
सुबोध ने ‘जिस देश में गंगा बहती है…’ गीत के माध्यम से देश की गंगा-यमुना संस्कृति को बखूबी प्रस्तुत किया। देवाशीष ने संगीत को सर्वव्यापी बताया। डॉ. वंदना ने कहा कि पंडित बिरजू महाराज कण-कण में नृत्य की बात करते थे। गोपाल तुलस्यान ने संगीत चिकित्सा का जिक्र करते हुए कहा कि संगीत विषम परिस्थितियों में चिकित्सा के रूप में कारगर सिद्ध हुई है।
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