Adarsh : जिले में डेंगू रोगियों के इलाज के लिए डेडिकेटेड डेंगू हॉस्पिटल बनाने के निर्देश योगी सरकार द्वारा दिए गए हैं। मान्यवर कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय को डेडिकेटेड डेंगू हॉस्पिटल बनाया गया है, लेकिन इस अस्पताल में एक फिजीशियन तक नहीं है। ऐसे में डेंगू रोगियों का इलाज कैसे होगा? इस हॉस्पिटल में डेंगू की जांच भी नहीं होती है। यहां डेंगू के लक्षणों वाले बुखार के जो रोगी आते हैं, उनका सैंपल जांच के लिए उर्सला या जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग भेजा जाता है। डेंगू रोगी निजी अस्पतालों में भरे पड़े हैं।
बतातें चलें कि डेंगू के 14 रोगी उर्सला और 10 रोगी हैलट तथा 61 रोगी निजी अस्पतालों में हैं लेकिन जो डेंगू के लिए डेडिकेटेड हॉस्पिटल बना है, उसमें एक भी रोगी नहीं भर्ती है। वहीं कांशीराम अस्पताल के इकलौते फिजीशियन डॉ. पियूष मिश्रा का तबादला हो गया था। उसके बाद से अस्पताल में कोई फिजीशियन नहीं है। फीवर के जो रोगी आते हैं, उनका इलाज वक्ष रोग विशेषज्ञ करते हैं। सीएमएस डॉ. स्वदेश गुप्ता का कहना है कि अस्पताल में दवाएं भरपूर हैं। फ्लुइड आदि की भी भरपूर व्यवस्था है। बुखार के चार रोगी भर्ती हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट डेंगू निगेटिव आई है। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव के आदेश के हवाले के साथ फिजीशियन के लिए सीएमओ को पत्र भेजा है। उर्सला से डॉक्टर मिलेंगे। इसके साथ ही डेंगू की जांच के लिए मशीन और किट के लिए भी पत्र भेजा है। अभी तो उर्सला सैंपल भेज कर जांच कराते हैं।
डॉ. सुशील प्रकाश, निदेशक उर्सला ने बताया कि सीएमओ का पत्र आया था। उन्हें अस्पताल के फिजीशियन डॉक्टरों की सूची भेज दी गई है। जिन पांच डॉक्टरों के लिए कहेंगे, उन्हें कांशीराम अस्पताल भेज दिया जाएगा। जबकि डॉ. आलोक रंजन, सीएमओ कानपुर नगर ने स्पष्ट किया कि डेडिकेटेड हॉस्पिटल में डॉक्टरों की व्यवस्था कर दी गई है। उर्सला से तीन फिजीशियन और दो बालरोग विशेषज्ञ कांशीराम अस्पताल भेजे जाएंगे। बुधवार यानी आज डॉक्टर पहुंच जाएंगे।