शहर से एक और एजेंट ने बनाई टीम अकरम में अपनी जगह

कानपुर

कानपुर, भूपेंद्र सिंह : उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव के निजी सचिव का बढ़ता रुतबा, दबाव और प्रभाव अभी भी प्रदेश के क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है। उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम की चयन प्रक्रिया में गहरी मध्यस्थता रखने वाले पूर्व सचिव के निजी सचिव अपने एजेंटों की टीम के सहारे शायद पैसा कमाने में खास मशगूल दिखाई देते हैं। खिलाड़ियों को टीम में स्थान दिलाने के लिए पूरे प्रदेश के जिलों में एजेंट अपना काम बखूबी कर रहे हैं। अब इस कड़ी में फतेहपुर से ताल्लुक रखने वाले हैदर रिजवी नगर में रहकर नए एजेंट के रूप में निजी सचिव के लिए अपना काम करते दिखाई देंगे। हैदर रिजवी ने अपनी नई पारी की शुरुआत शहर के तीन खिलाड़ियों को टीम में शामिल कराने के लिए कर दी है।

यूपीसीए के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हैदर रिजवी ने शिवांशु सचान, अनुज, व अर्जुन के लिए सीधे तौर पर उनसे बात कर उनको प्रदेश की क्रिकेट टीम में शामिल करवाने का बीडा ले लिया है। यूपीसीए के सूत्रों के अनुसार हैदर रिजवी ने निदेशक पद के एक अधिकारी की निकटता का फायदा उठाते हुए अकरम से नजदीकी बढ़ाई जिसका साथ प्रदेश के लिए खेल चुके कुछ स्टार क्रिकेटरों ने भी दे दिया। यही नहीं हैदर रिजवी ने उनके काफी करीब भारतीय टीम के सदस्य कुलदीप यादव के साथ अपना फोटो सेशन भी करा रखा है जिसको देखकर अन्यी क्रिकेटर उनकी मध्यहस्थता पर किसी प्रकार का शक सुबह नही करते।

गौरतलब है कि उनके एजेंट खिलाड़ियों को इन तक पहुंचाने का काम करते हैं । जिसके बदले में उन्हें 1 से 5 परसेंट कमीशन मिलता है। किसी को कैश नहीं दिया जाता एजेंटों को काम पर इसलिए लगाया गया है कि खिलाड़ियों उनसे सीधे संपर्क में ना रहे । यही नहीं इन दोनों का एजेंट बनने के बाद इनके चंगुल से निकलना मुश्किल ही नहीं असंभव भी प्रतीत होता है यदि एजेंट उनसे पीछा छुड़ाना चाहे तो व जबरन उसके खाते में उसके कमीशन की रकम डालकर उसे निकलने की इजाजत नहीं देते। प्रदेश ही नहीं इससे सटे बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों को शामिल करने के लिए हरियाणा ‘दिल्ली में भी अपने एजेंट तैयार कर रखे हैं।

जो क्रिकेटर और उनके अभिभावकों से बात करते हैं और सेटिंग बनाते हैं और उनकी चयन प्रक्रिया से पहले ही सीधे मुलाकात करा देते हैं। यही नही जब पुराने एजेन्ट खिलाडियों को लाने में थोडा सा असफल दिखायी देते है तो उनके स्थान पर नए एजेन्टों को मौका दे दिया जाता है। जिससे नए एजेन्टों पर किसी प्रकार का दबाव महसूस न हो और नाम भी न पता चल सके। यूपीसीए के पदाधिकारी ने बताया की पूर्व सचिव के निजी सचिव ने थोडे समय के लिए चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना बन्द कर दिया था लेकिन अब एक बार फिर से यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब तो एजेंटों के बीच में ज्यादा संख्या में खिलाड़ियों के शामिल कराने का संधि युद्ध भी शुरू हो गया है, इसके रोकने से ही पारदर्शिता का दौर लौट सकेगा।