कानपुर, बीपी डेस्क। समाजसेवी संस्था निर्माण सेवा संस्थान ने प्रवासी मजदूरों को कोविड 19 टीकाकरण के किये जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। बुधवार को अशोक नगर स्थित कानपुर जर्नलिस्ट क्लब में संस्था के सचिव जयवीर सिंह ने पत्रकारों को बताया कि आज देश में 45 करोड़ असंगठित मजदूर हैं, वहीं पर कुल प्रवासी मजदूरों का 26 प्रतिशत सिर्फ उ०प्र० से आते हैं। आई.ओ.एम. (संयुक्त राष्ट्र) द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार उ0प्र0 से बाहर जाने वाले मजदूर भारत में सबसे ज्यादा हैं।
आई.ओ.एम. रिपोर्ट के माध्यम से हमने पाया है कि 93.8% प्रवासियों ने खुद को वायरस से बचाने के लिए कोविड- 18 उपयुक्त व्यवहार का अभ्यास करने की सूचना दी। 91.3% लोग कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम से अवगत थे। लगभग 91% ने कोविड-19 वैक्सीन की अपनी पहली खुराक प्राप्त की है।
आयोजक संस्था इनके बीच एक दशक से कार्यरत है। अभी इन प्रवासी मजदूरों के मध्य कोविड-19 के टीकाकरण की परियोजना संचालित कर रही है। आई. ओ. एम. और verified campaign के साथ साझीदारी में है और इस अभियान की पहल का समर्थन कर रहा है। इसके अन्तर्गत ऑनलाइन हस्तक्षेप का कार्य सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। इसके माध्यम से मजदूरों को इस विषय की जानकारी व जागरुकता बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।
इसके अन्तर्गत पर्चे, पोस्टर का वितरण, नुक्कड़ नाटकों के आयोजन के साथ-साथ टीकाकरण का कैम्प लगाया गया है। उपरोक्त गतिविधियों से सरकारी अस्पताल के चिकित्सक व चिकित्सा कर्मियों को भी प्रवासी मजदूरों की समस्या के प्रति संवेदित किया गया है क्योंकि यह एक वंचित, गरीब व अल्प शिक्षित हाशिए पर का समूह है, इसलिए इसको सम्यक रूप से कोविड-19 टीकाकरण से आच्छादित करने का प्रयत्न पूरी जिम्मेदारी व सशक्त ढंग से किया जाना है।
जैसा कि विदित है कि अगर कुछ व्यक्ति या समूह टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं तो पूरा टीकाकरण का कार्य प्रभावी व सफल नहीं हो सकता है। वहीं महिला मजदूर व मजदूरों के परिवार की महिलायें विशेष तौर पर इससे वंचित रह जाती हैं उनके बीच तमाम मिथ्या धारणायें जैसे वृद्धावस्था में टीकाकरण व नवजात शिशु की माताओं का टीकाकरण आदि के बारे में प्रचलित है।
इसके अलावा उनके बीच तरह-तरह की गलत जानकारियां फैली हुई है और यह भी इनके टीकाकरण के कार्य में बाधक बनी हुई है. जिसे दूर करना अत्यन्त आवश्यक है। प्रेस वार्ता में सरदार कुनाल सिंह बग्गा, संघ रतन बौद्ध, पास्टर डायमण्ड यूसुफ, मनोज मकार्टिस, मौलाना अब्दुल मजीद, रामदुलारे वंशज आदि लोग मौजूद रहे।