कानपुर/बीपी डेस्क। कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में देश की पहली ग्रीन कैंटीन जिसमे सभी बर्तन और सामग्रियां पूरी तरह बॉयोडिग्रेडेबल हैं, शुरू की गई है। कैंटीन में इस्तेमाल हो रहीं प्लेट, चम्मच और गिलास सहित सभी उपयोग में लाने वाले बर्तन गन्ने की खोई से तैयार किये गए हैं।
संस्थान के निदेशक का कहना है कि संस्थान का उद्देश्य बॉयोडिग्रेडेबल क्रॉकरी को बढ़ावा देना है, इससे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने कल्यानपुर स्थित केंद्र में कैंटीन की शुरुआत की। दिन भर कैंटीन में आये स्टूडेंट्स, अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षक ने पहली बार ग्रीन कैंटीन का मजा लिया। सभी खाने से अधिक क्रॉकरी की तारीफ करते नजर आए।
उन्होंने बताया कि ये क्रॉकरी प्लास्टिक से अधिक सुंदर, थर्माकोल से अधिक मजबूत और पूरी तरह हाइजीनिक हैं। इस क्रॉकरी में गर्म या तरल खाना किसी तरह का रिएक्शन नहीं करता है। पेय पदार्थों के लिए मिट्टी का कुल्हड़ प्रयोग किया जाएगा। यह बर्तन 45 दिन बॉयोडिग्रेडबल जो जाते है। निदेशक ने बताया कि गन्ने की खोई से तैयार ये क्रॉकरी पूरी तरह बॉयोडिग्रेडेबल है। अगर इसे फेंक दिया जाए तो यह मिट्टी में 45 दिन में पूरी तरह खत्म हो जाएगी और खाद के रूप में काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस क्रॉकरी में कुछ और प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे यह मिट्टी में न सिर्फ बॉयोडिग्रेड हो बल्कि वहां एक पौधा भी तैयार कर सके।