-लखनऊ के इकाना में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए किया जा रहा लोढ़ा समिति की शिफ़ारिशों का उल्लंघन
Kanpur, Bhupendra Singh : 6 अक्टूबर को लखनऊ के इकाना स्टेडियम मैं भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच होने वाले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के लिए उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने 13 सदस्य आयोजन समिति की घोषणा कर दी है| जो इस मैच का आयोजन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे इसमें प्रदेश के डीजीपी का नाम भी शामिल है| इसे यूपीसीए का साहसी कदम माना जा रहा है कि डीजीपी जैसी महत्वपूर्ण शख्सयित को समिति की सूची में आठवें नंबर पर रखा गया है।
जबकि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव, व संयुक्त सचिव के साथ ही छोटे जिलों के पदाधिकारियों के नाम उनके ऊपर रखे गए हैं। यही नही अपैक्स कमेटी के कई सदस्य और कई जिलों के कार्यकारिणी सदस्य शामिल किए गए हैं| यह बात अलग है कि आयोजन समिति में शामिल कुछ नए सदस्य पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम पर मौजूद होंगे| अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की आयोजन समिति में डीजीपी का नाम लोढ़ा समिति की सिफारिशों का उल्लंघन माना जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि प्रदेश पुलिस के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति की ताकतों का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। लोढ़ा कमेटी में स्पष्ट उल्लेख है, कि कोई सरकारी पद पर रहते हुये बनने वाली कमेटी में शामिल नहीं रह सकता है। यूपीसीए द्वारा बनाई गई आयोजन समिति में कुल 13 सदस्य हैं। प्रदेश के डीजीपी डीएस चौहान को समिति की सूची में आठवें नंबर पर रखा गया है।
गौरतलब है, कि प्रदेश में गृह विभाग के सबसे बड़े पद पर बैठे डीजीपी डीएस चौहान बुलंदशहर क्रिकेट संघ से नाता रखते हैं। इस नाते यूपीसीए और डीजीपी चौहान के पुराने रिश्ते है। बताया जा रहा है कि चौहान बुलंदशहर क्रिकेट संघ के कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके है। वर्तमान में भी वह जुड़े हुए है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन बीसीसीआई और लोढ़ा समिति की सिफारिशों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं दिखाई दे रहा है। समिति की सिफारिशों के मुताबिक एक व्यक्ति अगर सरकारी नौकरी पर है, तो वह खेल संघ के किसी भी पद पर काबिज नहीं हो सकता।
यही नहीं अगर कोई पदाधिकारी दूसरे किसी खेल संघ में पदाधिकारी है, तो वह भी शामिल नहीं हो सकता है। किसी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस लगाई जाती है। जिसका पूरा खर्चा यूपीसीए द्वारा वहन करना पड़ता है। औसतन एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर खर्च होने वाली रकम 15 से 25 लाख के बीच रहती है। अब जबकि खुद प्रदेश के डीजीपी आयोजन समिति के आठवें पायदान पर आते है। ऐसे में पद के दुरुपयोग की चर्चा आम बनी हुई है।