खिलाडियों का पंजीकरण करने वाली कम्पनी के निदेशक को बना डाला डिप्टी सीईओ

कानपुर

कानपुर/भूपेंद्र सिंह। बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली को खुश करने के लिए यूपीसीए के पूर्व सचिव ने उनके निकटतम सहयोगी की स्थापित कोलकाता की कम्पनी को पहले तो प्रदेश टीम के खिलाडियों के पंजीकरण करने का ठेका दिया । उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने अब उस कम्पनी के निदेशक को संघ का उप मुख्य अधिशाषी अधिकारी भी नियुक्त कर दिया है।

जिसे क्रिकेट संचालन का ज्ञान बिल्कुल भी नही है। क्रिकेट के जानकारों के मुताबिक इस पद के लिए किसी अनुभवी व्यक्ति का चयन किया जाना चाहिए था जिसे कम से कम क्रिकेट के स्टम्प की ऊचांई तो ठीक से पता हो। हालांकि इसके लिए संघ ने एक पूर्व उच्च अधिकारी के पद की बलि भी ले ली। यही नही संघ ने इसके पहले भी फनगेज कम्पनी में खिलाडियों का पंजीकरण करने वाले उसके एक कर्मचारी श्रेयांश कार्तिकेय को बडे पद पर नियुक्त कर दिया था जिस पद का निर्वाहन वह ठीक ढंग से नही कर पा रहे थे।

नोएडा के सेक्टर 18 में स्थापित 25 कर्मचारियों की फनगेज कम्पनी अब शायद उतनी सही दिशा में कार्य सम्पादित नही कर पा रही थी और उसके निदेशक अंकित चटर्जी से पूर्व सचिव के निकटतम सहयोगी अकरम सैफी से नजदीकी के चलते संयुक्त् सचिव ने यह पद बिना एपेक्स कमेटी की बैठक के ही एप्रूव कर दिया। डिप्टी सीईओ पद पर अंकित को नियुक्त करने के एवज में संघ उसे दो लाख रुपए मासिक सैलरी का भुगतान करेगा। अंकित को इतनी बडी रकम अदाएगी के लिए संघ को 24 लाख रुपए वार्षिक का भुगतान भी करना होगा जो अभी तक की सबसे ऊची सैलरी है। इससे पहले क्रिकेट एसोसिएशन पूर्व सीओओ दीपक शर्मा को 65 हजार मासिक के दर से भुगतान करता आ रहा था। अंकित के डिप्टी सीईओ नियुक्त किए जाने के बाद से ही यूपीसीए में पदों में बदलाव का दौर भी शुरु हो गया है।

अभी तक सीओओ पद पर तैनात दीपक शर्मा को अब गौर हरि सिंहांनि‍यां अकादमी की सीईओ नियुक्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि अंकित चटर्जी को यूपीसीए में लाने के लिए संघ के पूर्व सचिव राजीव शुक्ला के निजी सहायक सहारनपुर के अकरम सैफी ने सिफारिश भी की थी। वह अभी भी यूपीसीए में लिए जा रहे कई अहम फैसलों में मध्यहस्तता भी करते आ रहे है।नोएडा से आकर डिप्टी सीईओ का पद संभालने वाले अंकित चटर्जी को संघ की ओर से रहने खाने और गाडी की विशेष व्यवस्था भी प्रदान की जाएगी।

अंकित की नियुक्ति के पीछे लोढा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से पालन करने की वजह भी माना जा रहा है। अभी तक संघ में सीईओ की नियुक्ति करने के लिए बीसीसीआई की एक टीम दबाव डाल रही थी। संघ में डिप्टी सीईओ की नियुक्ति साफ तौर पर लोढा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने की दिशा में पहला कदम है। ये बात अलग है कि संघ ने इस पद के लिए एक डूबी कम्पनी और अनुभवहीन व्यक्ति को चुन लिया उनके स्थान पर किसी क्रिकेटर को चयनित करते तो ज्यादा अच्छा होता।

यह भी पढ़े..