कानपुर हिंसा मामले में पहली बार सपा के विधायकों ने तोड़ी चुप्पी, पढ़िए

कानपुर

कानपुर, बीपी प्रतिनिधि। कानपुर हिंसा मामले में तीन दिनों तक चुप्पी साधे समाजवादी पार्टी के तीन विधायक पहली बार खुल कर बोले हैं। विधायक रूमी ने कहा, ‘इस मामले में जिसका जितना गुनाह हो, उन पर सबूतों के आधार पर काननूी कार्रवाई तय की जाए। IPC में पत्थर फेंकने की जो धाराएं हैं, उन्हीं में मुकदमा दर्ज करना होगा। न कि पत्थर फेंकने वालों के मकान पर बुलडोजर चलाया जाए। मनमाने तरीके से NSA, रासुका और गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए, तो पीड़ितों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ी जाएगी। दंगों पर भाजपा राजनीति कर रही है।’

वहीं आर्यनगर से सपा विधायक अमिताभ बाजपेई का कहना कि हम समाजवादी लोग समाज को जोड़ने का काम करते हैं और वो काटने का काम कर रहे हैं। किसी भी गलत काम के साथ हम नहीं हैं। नफरत फैलाने वालों से सख्ती से निपटना चाहिए, लेकिन किसी निर्दोष को जांच की आड़ में फंसाया जाएगा, तो वह बर्दाश्त नहीं होगा। सपा अपना काम बिना शोर मचाए जमीनी स्तर पर कर रही है। वह लगातार अधिकारियों और लोगों के संपर्क में है। सभी जरूरतमंदों की मदद की जा रही है।

जबकि सीसामऊ से सपा विधायक इरफान सोलंकी का कहना है कि वह 2 मई को परिवार सहित छुट्टी बिताने शहर से बाहर चले गए थे। उसके बाद ही बवाल हुआ। पूरे घटनाक्रम पर निगाह है। किसी भी निर्दोष पर ज्यादती न हो। इसे लेकर वह लगातार पुलिस कमिश्नर और पीड़ितों से संपर्क में हैं। किसी भी निर्दोष पर कार्रवाई बर्दाश्त नहीं होगी। शहर आने पर लोगों से मिलकर इस पूरे मामले को खुद देखेंगे।

सपा के नगर अध्यक्ष डॉ. इमरान ने कहा कि पार्टी का दंगाइयों से कोई वास्ता नहीं है। महानगर संगठन ने निष्क्रियता के चलते और अपने जातिगत संगठन की राजनीति के कारण निजाम कुरैशी को 22 मई को ही पदमुक्त कर दिया था। बता दें कि यह कदम सपा ने दंगाइयों में कुरैशी का नाम आने के बाद उठाया है। इमरान ने कहा कि सपा हिंसा का विरोध करती है। पुलिस जल्द से जल्द आरोपियों और षड्यंत्रकारियों को पकड़े। पुलिस कमिश्नरेट और इंटेलिजेंस फेल हो गई है। ऐसा कैसे हुआ और भीड़ कहां से आई?