क्राइम ब्रान्च में पेशी से पहले ही पूर्व सचिव की तबियत खराब … ?

कानपुर

-अहमदाबाद और दिल्लीं के मैचों को देखने के बाद पड गए बीमार…?
-पिछली पेशी में भी नगर आने से बचते नजर आए थे पूर्व सचिव

कानपुर, भूपेंद्र सिंह। यूपीसीए सचिव के लैटरहेड पर जारी हस्ताक्षर वाले मामले में प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव राजीव शुक्ला की पेशी सोमवार को क्राइम ब्रान्च के कार्यालय में होनी थी, लेकिन उनके वकील ने उनकी तबियत खराब का हलफनामा देकर मोहलत के तौर पर अगली तारीख मांग ली है।

क्राइम ब्रान्च ने भी तबियत खराब के मददेनजर पूर्व सचिव को थोडा समय दे देकर अगली तारीख में पेश होने की तारीख मुकर्रर कर दी है। अब ये पेशी 30 अक्टूूबर को होनी सुनिश्चत की गयी है। हालांकि क्रिकेट जगत में उनकी गैर मौजदूदगी के कई कारणों पर कयास लगाए जा रहे हैं।

सीनियर क्रिकेटरों का मानना है कि पेशी में आने से ठीक पहले ही उनकी तबियत खराब होने की वजह ही नही है। अभी 14 को भारत और पाकिस्तान के बीच अहमदाबाद के स्टेडियम में वह पूरी तरह से फिट नजर आ रहे थे और दिल्ली के अरुण जेटली स्टे‍डियम में भी उनकी उपस्थि‍ति‍ फिट अधिकारी के रूप में थी।

बतातें चलें कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के लैटर हेड पर खिलाफ उन्ही के हस्ताक्षर को लेकर जारी चिटठी वाले मामले में यूपीसीए की ओर से कई अज्ञात लोगों के खिलाफ लेंटर हेड की चोरी करने की एफआईआर दर्ज करायी गयी थी।

जिसकी जांच पहले पुलिस और फिर क्राइम ब्रान्च् को सौंप दी गयी थी। एक ओर लैटर हेड में किए गए हस्ता्क्षर को लेकर चली फॉरेंसिक जांच पूर्णतया सही पाई गई थी और माना जा रहा था कि अब पूर्णतया ईमानदारी और पारदरर्शिता दिखाते हुए संघ के आलाधिकारी किसी ठोस निर्णय पर पहुंच सकेंगे लेकिन लोगों की यह अवधारणा कोरी साबित हो गयी।

वहीं दूसरी ओर इस मामले में क्र्राइम ब्रान्च तथ्यों की जांच पर अभी भी अपना काम कर रही है। जिसमें सोमवार को इस मामले में वादी और प्रतिवादी पक्ष के लोगों को पेशी के लिए बुलावा भेजा गया था। पेशी में प्रतिवादी पक्ष के सदस्यो ने अपनी हाजिरी क्राइम ब्रान्च के कार्यालय में लगा दी लेकिन पूर्व सचिव राजीव शुक्ला के वकील ने कार्यालय में उनकी तबियत खराब का हलफनामा पेश कर मोहलत मांग ली है।

लैटर हेड मामलें में उनका नाम शामिल होने से पूरे यूपीसीए समेत बीसीसीआई तक में हडकम्प मचा हुआ है लेकिन वहां से भी किसी प्रकार का संज्ञान नही लिया गया है। गौरतलब है कि बीते तीन महीने पूर्व यूपीसीए के सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षरित एक पत्र में पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ जो नोटिस जारी किया था।

जिसमें पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह से उनके कूलिंग पीरियड में रहते हुए प्रदेश सरकार के साथ स्टेडियम निर्माण को लेकर एमओयू करने पर सवाल खडा करते हुए पूछताछ की थी। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव ने सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के किए इस कृत्य पर कड़ी नाराजगी जताते हुए आला अधिकारियों से मामले को रफा-दफा कराने की गुहार लगायी थी।

इस पर उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका था! गौरतलब है कि जिनके खिलाफ नोटिस जारी किया गया था उन्होंने पुलिस से आवेदन कर उनके हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच की मांग की थी जिस पर अमल करते हुए बीएफआई के माध्यम से वह जांच करवाई और सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षर पूर्णतया सही पाए गए थे। इसमें फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्र के मुताबिक यूपीसीए के पूर्व सचिव को 28 मार्च को भेजे गए नोटिस और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र पर किए गए दोनों ही हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति के थे।

पूर्व सचिव को नोटिस भेजने के बाद वह उस बात से मुकर क्यों गए थे ।कुछ लोगों का यह भी मानना है कि संघ की छवि धूमिल होते देख आला अधिकारियों ने उन पर हस्ताक्षर चोरी किए जाने का किसी पर भी आरोप लगाकर दबाव बनाने का काम किया था । इस मामले में पेशी के लिए दोनों पक्षों को क्राइम ब्रान्चभ ने 30 अक्टूबर को पेश होने के निर्देश जारी किए हैं। इस मामले में यूपीसीए के उपाध्यक्ष मोहम्‍मद फहीम ने फोन कॉल रिसीव नहीं की जिससे उनसे बात नहीं की जा सकी।