अपॉइंटमेंट से पहले फर्जी तरीके से जॉइनिंग के मामले में यूपीसीए के पूर्व सचिव होंगे बर्खास्त

कानपुर

Bhupendra Singh : मेरठ कॉलेज में अपॉइंटमेंट तारीख से पहले ही नौकरी ज्वाइन करने के मामले को लेकर चल रही जांच पूरी हो चुकी है। जांच में यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ जोइनिंग पहले अप्वाइंटमेंट लेटर बाद में जारी किए जाने का मामला सामने आया है। राजभवन से निकले इस जांच के निर्देश पर अब उनके खिलाफ शासन स्तर पर कार्यवाही मानी जा रही है। शासन ने उनकी नियुक्ति को पूरी तरह से अवैध माना है उनके नियुक्तियों को गलत मानते हुए उन पर भी नियमितीकरण का तो मामला दर्ज कराया ही गया है साथ ही मेरठ कॉलेज के प्रबंधक और प्रबंध समिति के खिलाफ दी वेतन संबंधी सारे दस्तावेज एक बार फिर से मांग लिए हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव डॉ युद्धवीर सिंह ने मेरठ कॉलेज मेरठ के प्रोफेसर अर्थशास्त्र विभाग डॉ युद्धवीर सिंह पर मीना राजपूत शिकायत के आधार पर IGRS द्वारा मांगी गयी आख्या जिससे साफ़ प्रतीत होता है की अपने को विनामियाकरण करने के लिए डॉ युद्धवीर सिंह ने कुंद कुंद कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल एवं प्रबंध समिति ने मिल कर गलत सर्विस पुस्तिका एवं प्रमाणित दस्तावेजों जमा किये थे।

डॉ युद्धवीर सिंह कुंद कुंद कॉलेज में पत्र दिनांक 18/6/1991 के अनुसार 24/6/1991 को बिना सैलरी काम पर आना था उसको वाइस चांसलर मेरठ यूनिवर्सिटी के अप्रूवल के बाद ही एडहॉक पर अप्पोइंट होना थ। अतः बिना सैलरी या वाइस चांसलर मेरठ यूनिवर्सिटी के अनुमोदन से पहले एडहॉक लेक्चरर इकोनॉमिक्स की नियुक्ति अवैध है। वाइस चांसलर मेरठ यूनिवर्सिटी के पत्र दिनांक 18/7 / 1991 पर कुंद कुंद कॉलेज को अप्रूवल दिया की डॉ युद्धवीर सिंह 18/7/1991 के बाद अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर सकते है अतः उनका अपॉइंटमेंट एडहॉक लेक्चरर इकोनॉमिक्स दिनांक 18/7/1991 को हुआ है उक्त पत्र दिनांक 18/7 / 1991 की प्रतिलिपि संलग्न है।

जबकि डॉ युद्धवीर सिंह की नियुक्ति तदर्थ शिक्षक के रूप में वाइस चांसलर मेरठ यूनिवर्सिटी के पत्र दिनांक 18/7/1991 के द्वारा नियुक्ति तदर्थ शिक्षक के रूप 18/7/1991 को हुई थी तो वह अपनी नियमित नियुक्ति पाने के अधिकारी नहीं माने गए हैं। शासन को धोखा देने के मामले में डॉ युद्धवीर सिंह को तुरंत उनके पद से बर्खास्त किए जाने के निर्देश कभी भी जारी किए जा सकते हैं एवं उनके द्वारा ली गई सभी सुविधाओं एवं सैलरी को मय व्याज के वसूला जा सकता है एवं झूठे दस्तावेज प्रस्तुत सरकार के पास जमा करके नौकरी पाने पर आपराधिक व षड्यंत्रकारी मामला सही पाए जाने पर उनको सजा भी हो सकती है और उन्हें नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है।