कानपुर/ बीपी प्रतिनिधि। मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जन डॉ. राघवेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी डॉ. स्वप्निल पर प्रशासन की गाज़ गिर गई है। इससे पहले भी आयकर छापे के दौरान दोनों के नाम सामने आए थे। मामले में शासन ने कॉलेज प्राचार्य से भी जवाब तलब किया है।
कानपुर में सरकारी डॉक्टर होने के बाद भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने के मामले में शासन ने मंगलवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जन डॉ. राघवेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी पैथोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्वप्निल गुप्ता को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला से डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। आयकर छापे में पता चला था कि डॉ. गुप्ता निजी अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं और उनकी पत्नी की हैलट के सामने पैथोलॉजी है।
आयकर विभाग ने चार मार्च को काकादेव डबल पुलिया स्थित न्यूरॉन हॉस्पिटल और हैलट के सामने यूनीक पैथोलॉजी पर कार्रवाई की थी। छापे में एक करोड़ 30 लाख कैश मिला था। हॉस्पिटल से न्यूरो सर्जन डॉ. राघवेंद्र गुप्ता और पैथोलॉजी से उनकी पत्नी डॉ. स्वप्निल गुप्ता का जुड़ाव पाया गया। सरकारी डॉक्टर होने के बाद भी वे प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। बताया गया कि मेडिकल कॉलेज में स्थायी नियुक्ति के पहले डॉ. स्वप्निल यह पैथोलॉजी संचालित करती थीं। नौकरी के बाद भी उन्होंने पैथोलॉजी नहीं छोड़ी।
इस पर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साथ ही शासन को भी रिपोर्ट भेजी थी। डॉ. काला ने दोनों के निलंबन की पुष्टि की है। उनका कहना है कि कोई मेडिकल कॉलेज या हैलट परिसर के बाहर क्या करता है? इसका पता वे कैसे रख सकते हैं? शासन प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के लिए भत्ता भी देता है। वहीं, डॉ. राघवेंद्र गुप्ता का कहना है कि इस संबंध में उन्हें कोई आदेश नहीं मिला है।
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