हैण्डीकैप्ड छात्रों ने उठायी भोजन भत्ते को बढाने की मांग

कानपुर

कानपुर/भूपेंद्र सिंह। बीते 15 सालों से सरकार से जारी भोजन भत्ते से नाराज हैण्डीकैप्ड छात्रों ने प्रदेश सरकार से उसे बढाने की मांग उठायी है। छात्रों ने प्रदेश सरकार के प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल को पत्र भेजकर अपनी नाराजगी जताई है।

गौरतलब है कि नगर के एकमात्र डॉ अम्‍बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड के छात्रों को बीते डेढ दशक से 300 रुपए से भी कम का भोजन भत्ता मिल रहा है जिससे छात्रों को भरपेट भोजन नही मिलता दिखायी दे रहा है। बतातें चलें कि प्रदेश सरकार के कई पूर्व व वर्तमान शिक्षा मन्त्रियों ने छात्रों को केवल आश्वासन ही दिया जबकि उन्हेै शिक्षा के साथ ही कई अन्य प्रकार के संसाधनों का दिया जाना प्राथमिकता में शामिल रहता है।

पिछले साल 11 अक्टूबर को सोलर प्लांट उद्घाटन के लिए तत्कालीन प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद कैंपस में छात्रों से संवाद करने आए थे। इस दौरान कई छात्रों ने उनसे भोजन का पैसा बढ़ाने की मांग की थी। मौके पर मंत्री ने भोजन का पैसा बढ़ाने पर विचार करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन जमीनी स्तर योगी की दोबारा सरकार बनने के बाद भी अभी तक कुछ नहीं होता दिख रहा है। आज की तारीख में 250 रुपये महीना इन छात्रों को खाना खाने के लिए मिलता है। शायद इस रकम में कोई इंसान एक दिन भी ठीक से खाना न खा पाए।

इस संस्थान के छात्र भोजन भत्ता न बढ़ने से काफी नाराज दिखे। उनका कहना है कि हम लोगों ने योगी का चेहरा मंत्री द्वारा किये गए वादों पर इनको वोट दिया। लेकिन मंत्री जी हम लोगों को ही लॉलीपॉप देकर चले गए। कुछ छात्रों का यह भी कहना था कि यहां जो सोलर प्लांट का उद्घाटन करने आये थे मंत्री जी उनके अजेंडे में हम लोग कभी थे ही नहीं तभी सिर्फ 13 मिनट रुक कर यहां से चले गए थे।

उनकी असलियत अब सबके सामने आ चुकी है, यह सब उन्होंने सिर्फ वोट बैंक के लिए किया था। 11 अक्टूबर को आश्वासन देने वाले दिन से आचार संहिता लगने से पहले सात जनवरी तक उनके पास 89 दिन का समय था। लेकिन वह हाथ में हाथ धरकर बैठे रहे, उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने वादा किया था कि इसे वर्ल्ड क्लास टेक्निकल यूनिवर्सिटी बनाएंगे। लेकिन वह वादे भी हवा हवाई ही रहे।छात्रों को आज भी भोजन के नाम पर मिलने वाले भत्ते को वर्ष 1997 के हिसाब दिया जा रहा है। भोजन भत्ता उन्हें सिर्फ 250 रूपए महीना मिलता है। लेकिन कई बार इसको बदलने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा वहां से किसी ने इसकी मंजूरी नहीं दी।

वर्जन-योगी की नई सरकार बनते ही छात्रों ने संस्थान के प्रशासन पर दबाव बनाते हुए तीन हजार का एक नया प्रस्ताव भेजा है। कुछ छात्रों का कहना है अगर इस बार हमारी उम्मीद टूटी तो हम लोग अनशन पर बैठेंगे क्योंकि इस बार पेट का सवाल है और हम और भूखे नहीं सो सकते।

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