यूपी में गर्मी ने ढाया कहर, तोड़ा 121 सालों का रिकॉर्ड

कानपुर

कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। ग्लोबल वॉर्मिंग के असर लगातार धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। वहीँ इस बार मार्च में पड़ी गर्मी ने यूपी में बीते 121 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसमें यूपी के साथ मध्य भारत में 1901 के बाद मार्च का महीना दूसरा सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया है। इसके साथ ही यूपी में अगले 10 दिनों तक बारिश बिल्कुल शून्य रहेगी। बारिश न होने का रिकॉर्ड भी दर्ज किया गया है। वही बीते 114 सालों में 10 मिमी. से भी कम बारिश हुई थी।

मौसम विज्ञानी के मुताबिक, इस साल मार्च में उच्च तापमान के पीछे का पहला सबसे बड़ा कारण बारिश की कमी है। अप्रैल में मौसम के ऐसे ही बने रहने की आशंका है, क्योंकि कोई नया वेदर सिस्टम फिलहाल डेवलप होता नहीं दिख रहा है। यूपी में मार्च महीने में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 3.91 डिग्री सेल्सियस अधिक था। रात का औसत तापमान सामान्य से 2.53 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के साथ 1901 के बाद से इस बार मार्च दूसरा सबसे ज्यादा तापमान वाला महीना रहा। वहीं दैनिक औसत तापमान सामान्य से 3.22 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।

CSA यूनिवर्सिटी के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि हवा के पैटर्न में असामान्य बदलाव को जलवायु संकट से जोड़ा जा सकता है। इस गर्मी का एक कारण मध्य भारत समेत यूपी में बारिश की कमी को भी माना जा सकता है। मार्च में हीटवेव की दो घटनाएं हुईं। पहला एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन था, जिसके कारण पश्चिम की ओर से उत्तर और मध्य भारत में गर्मी का संचार हुआ। दूसरा, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ऐसा हुआ। पूरे भारत में होने वाली बारिश में 71 प्रतिशत की कमी देखी गई है। इसके अलावा उत्तर-पश्चिम भारत 89 फीसदी की कमी के साथ बारिश में सबसे बड़ा कमी वाला क्षेत्र था। मार्च 2022 में 1901 के बाद 10 मिमी. से भी नीचे चौथी सबसे कम बारिश हुई है।

मौसम विज्ञानी ने बताया कि नम हवाओं के बहने से पूर्वी यूपी में शामिल लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, जौनपुर, भदोही, गोरखपुर, मिर्जापुर, कुशीनगर, देवरिया में गर्मी से दिन और रात में कुछ राहत रहेगी। वहीं, बागपत, बरेली, बदायूं, आगरा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, हापुड़, सहारनपुर, अलीगढ़, हाथरस, मैनपुरी, शामली, बिजनौर और इटावा में लू का कहर जारी रहेगा। पारा तेजी से बढ़ने से फसलों की फोर्स मैच्योरिटी हो रही है। इसमें फसलें वक्त से पहले पक रही हैं। इससे पैदावार कम होगी। भीषण गर्मी से किसानों को खेती में सिंचाई करनी होगी, इससे लागत बढ़ेगी और आय कम होगी। लगातार ये स्थिति बनी रहने से खाद्यान्न का बड़ा संकट भी खड़ा हो सकता है।