कानपुर, बीपी प्रतिनिधि। सेना में कार्यरत कुटिया रामपुर निवासी विजय नारायण सिंह का एकलौता पुत्र प्रियांशु सिंह उम्र (16) और उनका साला सुजीत सिंह(20) मुक्ता देवी के दर्शन करने गए थे और वही यमुना नदी में स्नान करते वक्त दोनों डूब कर मर गए।
विजय नारायण सिंह का आरोप है की कानपुर देहात स्थित पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों ने उनसे इस बात की घूस मांगी कि वह पैसा मिलने पर पोस्टमार्टम नहीं करेंगे और दोनों की लाशें परिजनों को सुपुर्द कर देंगे। पैसा ना देने पर पोस्टमार्टम हाउस के डॉक्टरों ने और कर्मचारियों ने मिलकर दोनों शवों को सड़ा दिया और परिजनों को सौंप दिया।
परिजनों ने जब दोनों के शव देखने की बात की तो पोस्टमार्टम हाउस के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने शवों को खोलने से मना कर दिया। परिजन जब लाश को दफनाने जा रहे थे तो विजय नारायण सिंह ने अपने पुत्र को दफनाने से पहले सब लोगों के मना करने के बावजूद सील बंद शवों को जब खोला तो उनके ऊपर गाज गिर पड़ी क्योंकि दोनों शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो चुके थे।
विजय नारायण सिंह का आरोप है कि शवों को डीप फ्रीजर में ना रखे जाने के कारण दोनों शव खराब हो गए। पोस्टमार्टम हाउस कर्मचारियों की लापरवाही की इंतहा यह थी कि उन्होंने दोनों शवों का पोस्टमार्टम करने के बाद दोनों के शरीरों को सिला तक नहीं था जिसके कारण दोनों के शरीर के आंतरिक अंग लीवर किडनी आदि दिखाई पड़ रहे थे।
विजय नारायण सिंह के भाई ने बताया की इस मामले में पुलिस की भी लापरवाही हर कदम पर देखने को मिली है। थाना प्रभारी मूसानगर और उप जिलाधिकारी कानपुर देहात से एनडीआरएफ उपलब्ध कराने का बार बार निवेदन किया गया लेकिन एनडीआरएफ टीम उपलब्ध नहीं हो पाई जबकि परिजन एनडीआरफ टीम का खर्चा भी बर्दाश्त करने को तैयार थे।
इस घटना का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि पुलिस और पोस्टमार्टम कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एक दुखी बाप को अंतिम समय में अपने बेटे को गले लगाने तक का मौका नहीं मिला क्योंकि पुत्र का शव पूरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका था। यह घटना स्पष्ट करती है की योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की बात करें लेकिन उत्तर प्रदेश के पुलिस निरंकुश है और उसके कार्य प्रणाली में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है।