Kanpur : संघ के आजीवन सदस्य का महाप्रबन्धंक होना नियमों का सरासर उल्लंघन

कानपुर

-क्रिकेट की देखभाल के अलावा सभी कार्यों में हस्तक्षेप करना बना उनका शगल

Bhupendra Singh : उत्तर प्र्रदेश क्रिकेट संघ में आजीवन सदस्य वाले लाभ के सभी फायदे उठाने वाली पूर्व महिला क्रिकेटर अब कई महीनों से संघ के महाप्रन्धक के पद पर तैनात हैं जोकि लोढा समिति के साथ ही कोर्ट के नियमों का भी सरासर उल्लंंघन है। इस ओर संघ के किसी भी पदाधिकारी और सदस्य ही ध्यान ही नही जा रहा है और महाप्रन्धक स्तर की अधिकारी अपने खासमखास सिपहसालारों के साथ मिलकर दोयम दर्जे के कर्मचारियों को परेशान करने से भी बाज आती नही दिखायी दे रही हैं। महाप्रन्धक की संघ के आलाकमान से नजदीकियों के चलते उनके खिलाफ कोई आवाज भी उठाना अपनी पराजय समझता है।

महाप्रन्धक का साथ मीडिया कमेटी के सदस्य तालिब और विकेट निर्माणकर्ता शिवकुमार भी बखूबी देते आ रहे हैं। इस तिकडी का कर्मचारियों पर इतना गहरा दबाव और प्रभाव है कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तो उनके सामने अपना रास्ता तक बदलने को विवश हो जाते हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की ओर से कभी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाडी रीता डे जो बीते कई सालों से संघ की आजीवन सदस्य घोषित हैं और उन्हे उसकी ओर से खिलाडियों को मिलने वाली हर सुविधा का आदान-प्रदान भी किया जाता है। वह बीते कई महीनों से यूपीसीए की महाप्रन्धक भी नियुक्त् की गयी हैं जो क्रिकेट की देखभाल के अलावा सभी कार्यों में हस्तक्षेप करना अपना शगल मानती हैं।

वह कमला क्लब स्थित डा.गौर हरि सिंहानिया क्रिकेट अकादमी से लेकर यूपीसीए कार्यालय, ग्रीनपार्क और महिला क्रिकेट को आपरेट करने का काम आसानी से कर रहीं हैं। यही नही वह क्रिकेट आपरेशन मैनेजर का कार्य भी करने से गुरेज नही रखती। हालांकि उनकी कार्यर्शली से संघ के कई सदस्यों और कर्मचारियों में रोष व्याप्त है लेकिन नौकरी जाने और अपमान होने के डर के चलते उनके खिलाफ कोई आवाज नही उठाता।बतातें चलें कि लोढा समिति की सिफारिशों के चलते संघ में एक व्‍यक्ति एक ही पद पर रहकर कार्य कर सकता है ।यही नही सदस्य या पदाधिकारी पद पर रहने के लिए भी उसे वेतन नही मिलना चाहिए।

लेकिन महाप्रन्धक के केस में ऐसा कुछ भी नही है एक तो वह संघ की आजीवन सदस्य है जिसके लिए उन्हेे संघ की ओर से पेंशन भी मिलती है और अब महाप्रबन्धक पद पर नियुक्त होने के बाद मोटी सैलरी। ये लोढा समिति के साथ ही सभी नियमों का सरासर उल्लंघन माना जा रहा है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ में अब कई सदस्यों ने इसका विरोध करना भी शुरु कर दिया है। कई शिकायतों के बाद से अब उनपर सही दिशा में कार्य करने और एक पद छोडने के लिए बातचीत की जाएगी।