कानपुर/ बीपी प्रतिनिधि। गोरखपुर के एक होटल में हुए प्रापर्टी डीलर मनीष हत्याकांड में एसआइटी की जांच में पता चला है कि पिटाई करने वाले रामगढ़ताल थाने के इंस्पेक्टर और मातहत नहीं चाहते थे कि घायल मनीष जिंदा बचें। आरोपित पुलिसकर्मी मनीष को लेकर मानसी अस्पताल पहुंचे तबवह वह जिंदा थे।

मानसी अस्पताल से गोरखपुर मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे तब डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बड़ी बात है कि मानसी अस्पताल से महज 13-14 मिनट की दूरी पर मेडिकल कालेज में पुलिसकर्मी मनीष को डेढ़ घंटे बाद लेकर पहुंचे। यह एक बड़ा सवाल है जो साजिश की तरफ इशारा करता है। क्या पुलिसकर्मी मनीष को लेकर इधर-उधर भटकते रहे, जब तक उनकी मौत नहीं हो गई।
एसआइटी पड़ताल में पता चला है कि एसआइजी ने मानसी अस्पताल के स्टाफ, जीप में मिले खून व अन्य जांच बिंदुओं के आधार पर माना था कि मनीष अस्पताल लाए जाने तक जिंदा थे। मेडिकल कालेज ले जाने में देरी क्यों बरती गई, पुलिस उन्हें लेकर कहां घूमती रही, इसका पता नहीं चला। 29 सितंबर को उनकी मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर रामगढ़ताल थाने में तैनात रहे थाना प्रभारी जगतनारायण सिंह, दारोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले की जांच सीबीआइ ने जांच की और सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की धाराओं में चार्जशीट लगाई।
यह भी पढ़े..