BHUPENDRA SINGH : नगर निकाय चुनाव के दौरान इस बार सभी दलों के उम्मीदवारों की निगाहें ब्राह्मण वोटरों पर टिक गयी हैं। सभी उम्मीदवारों ने ब्राह्मण वोटरों में सेंधमारी करने का प्रयास शुरु कर दिया है। एक ओर जहां तीनों पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवार बनाया है तो वहीं एक दल ने निषाद वर्ग पर भरोसा जताया है। ऐसा ब्राह्मण वोटरों में सेंधमारी करने के उद्देश्य से किया गया है, क्योंकि सपा और कांग्रेस दोनों ही जानते हैं कि कानपुर में ब्राह्मण मतदाता अच्छी खासी तादाद में है और यह जिस तरफ मुड़ जाता है उसी पार्टी का महापौर बनना तय होता है, हालांकि सपा ने इस बीच बीजेपी को बीजेपी के ही नारे के बीच में ही घेरने की कोशिश की है।
अब तक योगी और मोदी की डबल इंजन की सरकार की बात और चर्चा होती रही है लेकिन सपा के विधायक अमिताभ बाजपेई ने पति-पत्नी की डबल इंजन शहर की सरकार का नारा छेड़ दिया है।. कानपुर में महापौर की लड़ाई बेहद रोचक हो गई है. बीजेपी (BJP) जहां शुचिता के साथ शहर चलाने का दावा कर रही है तो वहीं कांग्रेस (Congress) का कहना है कि वो इस शहर की दशा और दिशा ठीक करने काम करेंगे और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) यहां डबल इंजन की सरकार बनाने की अपील कर रही है, सपा का कहना है कि पति-पत्नी की डबल इंजन की सरकार शहर का विकास करेगी।
कानपुर में महापौर पद के लिए समाजवादी पार्टी , कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने प्रत्याशियों को घोषित कर दिया है,. सपा और कांग्रेस के ने इस बार ब्राह्मण उम्मीदवार उतारकर बीजेपी के लिए खासी मुश्किलें पैदा करने की कोशिश की है। सपा के आर्यनगर विधानसभा से सपा विधायक अमिताभ बाजपेई की पत्नी वंदना बाजपेई को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सचिव का पद संभाल रहे विकास अवस्थी की पत्नी आसनी अवस्थी को चुनावी मैदान में उतार दिया है। नगर की पूर्व महापौर प्रमिला पान्डेय को बीजेपी से ताल ठोंकने का एक बार फिर से अवसर दिया गया है। कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस की प्रत्याशी आसनी अवस्थी काफी मजबूती से बातचीत करती दिख रही है।
आसनी अवस्थी का कहना है कि वह शहर की दशा और दिशा को तय करने के लिए अपने प्लान को तैयार कर चुकी है, वहीं बीजेपी इन हमलों के बीच शुचिता की बात कर रही है।. जानकारों की मानें तो साफ सफाई कूड़ा कचरा निस्तारण पार्किंग अतिक्रमण, रेहड़ी, पटरी दुकानदारों की समस्याएं पेयजल आपूर्ति हाउस टैक्स वॉटर टैक्स जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र समेत तमाम सिविक समस्याओं से अब मामला उठकर भ्रष्टाचार की तरफ मुड़ता दिख रहा है।
कानपुर नगर निगम की जनता की भले ही तमाम परेशानियां हों. वह कूड़ा कचरा प्रबंधन पार्किंग अतिक्रमण पेयजल आपूर्ति से जुड़ी हुई हो, लेकिन जो सियासत कानपुर में इस वक्त देखने को मिल रही है वो नगर निगम में पिछले कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की तरह मुड़ती हुई जरूर दिख रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि विपक्षी दल बीजेपी को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जबरदस्त तरीके से घेरने की रणनीति पर अपना प्लान बना चुके हैं।