Kanpur : कारपोरेट मंत्रालय ने मान लिया यूपी क्रिकेट संघ में है भ्रष्टाचार

कानपुर

-मन्त्रालय के संयुक्त निदेशक ने जारी किए जांच के आदेश

Bhupendra Sngh : देश के कारपोरेट मंत्रालय ने भी अब उत्तर प्रदेश क्रि‍केट संघ में अधिकारियों की ओर से किए जा रहे भ्रष्टाचार को मान लिया है। मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के मामले में कडा एक्शन लेते हुए यूपीसीए के विरुद्ध जांच के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। प्रदेश कारपोरेट विभाग के आला अधिकारी अब इस मामले की जांच कर मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। यही नही इसके निर्देश जारी किए जाने के बाद ही एक और शिकायत पर भी सुनवाई के लिए हामी भर दी गयी है जिसमें यूपीसीए के सभी प्रपत्रों की पोस्टमार्टम जांच कराने की बात कही गयी है। गौरतलब है कि यूपीसीए ने बीते कई सालों से कम्पनी ऑफ रजिस्ट्रार के यहां पर संघ का पंजीकरण कम्पनी एक्ट में करवाया है और उसका पूरा फायदा उठा रहा है।

मन्त्रा लय में दर्ज करायी गयी शिकायत में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन CIN U92411UP2005NPL030360 MCA और यूपी के लोगों के साथ छल कर रहा है लेकिन आरओसी का सुस्त रवैया कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है बल्कि हमेशा समय देने और कोई कार्रवाई नहीं करने के माध्यम से उन्हें आश्रय दे रहा है। उनके खिलाफ लेकिन गेंद को क्षेत्रीय निदेशकों के पाले में डाल रहे हैं जहां मंत्रालय ने यह स्वीकार कर लिया कि‍ कंपनियों के निदेशक पत्रों और नोटिस का सम्मान नहीं कर रहे हैं।

भारत सरकार ने कंपनियों के रजिस्ट्रार को हुडविंकर्स को रोकने की शक्तियां दी हैं और उनके कार्यालय के तहत पंजीकृत सभी कंपनियों को भारत सरकार द्वारा निर्धारित कानून के तहत काम करना चाहिए। हाल ही में यूपीसीए ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार एमओए में नवीनतम संशोधन को अपनाने के लिए यूपीसीए सदस्यों को एसजीएम नोटिस जारी कर छल की सारी सीमाएं तोड़ दीं थी। जिसमें सचिव प्रदीप कुमार गुप्ता को निदेशक के रूप में दर्शाया है। उन्होंने अपना डिन 00466995 नम्बर पंजीकृत करवाया था जो कि एमसीए की वेबसाइट में कहीं भी नही दिखायी दे रहा।

बतातें चलें कि यूपीसीए ने तीन साल के लिए दिए गए हलफनामे में जितने भी दस्तावेज दर्शाए थे इसमें से एक पर भी अमल करते नही दिखायी दे रहे। जहां सचिव के पद पर काबिज प्रदीप गुप्ता निेदेशक नहीं है फिर भी वह बैठकों के लिए अपने ही हस्ताक्षरित कागजों को भेज रहें है तो वही उनके लैटर हैड में डिन नम्बर पर गलत अंकित है जो आरओसी में दाखिल ही नही है। यूपीसीए की ओर से किए जा रहे इस फर्जीवाडे में आरओसी के शामिल होने की शिकायत एक बार फिर से शिकायत दर्ज करवायी गयी जिसको गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय ने जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस मामले में संघ का कोई भी अधिकारी बात करने को तैयार नही है।