KANPUR : यूपीसीए को मान्यता दिलवाने में पूरा सहयोग करेंगे यूपीसीए के पूर्व सचिव रहे बोर्ड उपाध्यक्ष

कानपुर

BHUPENDRA SINGH : प्रदेश के नवगठित क्रिकेट संघ उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएट्स को बीसीसीआई से सभी प्रकार की मान्यता दिलवानें के लिए बोर्ड के उपाध्यक्ष व यूपीसीए के पूर्व सचिव की ओर से हरी झण्डी मिल चुकी है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इकाना स्टेडियम में सीएसके व एलएसजी के बीच खेले गए मैच के दौरान एसोसिएटश व एसोसिएशन के बीच चले आ रहे मतभेदों का पटाक्षेप भी हो गया। साल 2015 में संघ को अपनी विदायी देने वाले आगरा के जीडी शर्मा और यूपीसीए के पदाधिकारियों के बीच चल रहा घमासान भी थम गया। अभी तक चल रहे विवादों के बीच बुधवार की बीती शाम एक नया घटनाक्रम सामने आया है।

जब उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन और एसोसिएटश के बीच समझौता एक्सप्रेस को चलते देखा गया। बोर्ड के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला के साथ संघ के अध्य क्ष निधिपति सिंहानिया और एलएसजी के मालिक संजीव गोयनका के साथ मैच का लुत्फा उठा रहे थे कि जीडी शर्मा के साथ ही वीआईपी दीर्घा में भाजपा नेता व सांसद मनोज तिवारी व अरुण पान्डेय भी उस दीर्घा में पहुंचे तो वहां का माहौल ही बदल गया। हालांकि सभी ने मैच के दौरान हल्की फुल्की ही बातचीत की। मैच रदद होने के बाद बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ तो बात आगे चल निकली और अपसी सहमति पर आकर समाप्त हुयी।

अब नवगठित संघ को मान्यता दिलवाने और क्रिकेट के विकास के लिए बोर्ड के उपाध्यक्ष ने हामी भरी और सभी को आश्वास्त किया कि वह उनके संरक्षक के रूप में कार्य करेंगे।गौरतलब है कि आगरा में उत्तर प्रदेश क्रिकेट असोसिएट्स नाम की संस्था का पंजीकरण कराया गया है। सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत संस्था के सचिव जीडी शर्मा हैं। शर्मा ने दावा किया है कि उन्होंने वीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को पत्र भेज स्मारिका छापने के लिए एक शुभकामना संदेश मांगा है। शर्मा ने बताया कि वह संस्था का कार्यक्रम जून में करेंगे। शर्मा को 2014.15 में आगरा क्रिकेट संघ से बाहर कर दिया गया था।

यूपीसीए में पिछले कई महीनों से जोरदार उठापटक जारी है। मार्च और अप्रैल में असोसिएशन के सचिव के हस्ताक्षर वाले कई लेटर वायरल हुए। एफआईआर भी कराई गई। इस वीच मंगलवार को एक वैठक में रिटायर्ड डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान को संघ का निदेशक बनाया गया। साथ ही राजीव शुक्ला के निदेशक पद से इस्तीफे की वात वताई गई। यूपीसीए के सूत्रों के मुताविक शुक्ला ने हितों के टकराव की शिकायत के बाद अक्टूबर . 2021 में ही इस्तीफा दे दिया था लेकिन संघ के पदाधिकारियों ने बदनामी के डर से जानबूझकर इसे दवाए रखना मुनासिब समझा।