Kanpur : फर्जीवाडे कर नौकरी पाए यूपीसीए के पूर्व सचिव अब सरकार के साथ कर रहे कागजों का आदान-प्रदान

कानपुर
  • यूपीसीए के अध्यक्ष व सचिव को बौना साबित कर संघ पर किया पूरी तरह से कब्जा

Bhupendra Singh : अपनी नौकरी फर्जीवाडे के माध्यम से चलाने वाले यूपीसीए के पूर्व सचिव अब प्रदेश सरकार के साथ कागजों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। UP global Investor Summit में वह प्रदेश क्रिकेट संघ की ओर से सरकार के साथ कागजों का आदान –प्रदान कर रहें है जबकि उनके खिलाफ राजभवन कार्यालय की ओर से गठित कमेटी उनके फर्जीवाडे वाले कार्यों की जांच कर रही है। यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह ने संघ के अध्यक्ष और सचिव के पद को बौना साबित करते हुए UP global Investor Summit में प्रदेश व केन्द्र सरकार के मन्त्रियों को वह कागज सौंपें जिसपर कभी भी संघ के कार्यालय में चर्चा तक नही गयी।

UP global Investor Summit में उनके प्रतिनिधित्व करने की शिकायत अब प्रधानमन्त्री दरबार तक पहुंच गयी है। शिकायत कर्ताओं ने महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय खेल कूद मंत्री-, अनुराग ठाकुर को पत्र भेजकर यूपीसीए के पूर्व सचिव की कारगुजारियों को अवगत कराया है। भेजे गए शिकायती पत्र में यूपीसीए के निदेशक युद्धवीर सिंह द्वारा बनारस में प्रधानमंत्री के क्षेत्र में एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए एक MOA भी साइन किया गया है। जिसकी की तारीफ सभी जगह की गई। आपको अब इस MOA को हकीकत एवं उनकी मंशा से अवगत कराया है।

पिछले कई साल से हुई एजीएम / एपेक्स काउंसिल की सभी बैठकों में कभी भी बनारस में क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए कोई भी निर्णय तो छोड़िए जिक्र भी नही हुआ और तो और हाल में 20/01/2023 को हुई बैठक में भी कोई वार्तालाप ही नही की गयी। जबकि मुम्बई उच्च न्यायालय में दाखिल किए गए शपथ पत्र में युद्धवीर सिंह ने कहा है कि इस तरह के सारे निर्णय एपेक्स काउंसिल की बैठकों में लिए जाते है इसमें निदेशको का कोई रोल ही नहीं रहता है। दिल्ली वाले यूपीसीए के कार्यालय में एक बैठक जिसमें एपेक्स के सदस्य ही नही अध्यक्ष और सचिव को भी नहीं बुलाया गया उसमें अचानक ही युद्धवीर सिंह स्वयं निर्णय लेते हुए इस summit में भाग लेने चले गए और आनन फानन में MOA साइन कर दिया।

यह निर्णय युद्धवीर सिंह पर लगे फर्जी दस्तावेज पर कॉलेज में नौकरी नियमित करने के आरोप से बचने एवं सरकार के उच्च अधिकारियों से संपर्क कर अपने को बचाने की कवायद के कारण किया था। क्योंकि हाल में ही म महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा उनके ऊपर जांच समिति बैठाई थी और न्यू पेपर द्वारा समाचार मिला था की युद्धवीर के आधार प्रयासों के बावजूद जांच रिपोर्ट उनके खिलाफ दी गई थी। शिकायतकर्ताओं ने सभी से अनुरोध किया है की यूपीसीए के पूर्व सचिव के खिलाफ अविलंब इनके रिकॉर्ड की जांच करे जिससे आपको सच्चाई का पता लगे और सरकार के साथ आंखों में धूल झोंकने की एवं फर्जी MOA साइन करने की उचित सजा दे।

यह MOA सिर्फ प्रदेश सरकार को छलावा देना है जबकि 10/2/2023 को गाजियाबाद स्टेडियम पर बैठक दिल्ली में की गई थी। यूपीसीए के एक निदेशक स्तर के पदाधिकारी ने बताया कि जब उनके खिलाफ किसी भी तरह की आपराधिक मामलों की जांच चल रही है तो उन्हे यह नही करना चाहिए। यही नही जब अध्यक्ष और सचिव नुमाइन्दगी कर सकतें है तो उनमें से एक को एमओए साइन करना सही दिशा का कार्य होता।