कानपुर : सीएम योगी को लिखा पत्र, कहा- अब अल्पसंख्यक नहीं रहे मुसलमान, वाजिब हकदार को ही अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाना जरूरी- भाजपा नेता सिमरनजीत सिंह

कानपुर

कानपुर,बीपी प्रतिनिधि। भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय सह संयोजक सिमरनजीत सिंह ने मुसलमानों को अल्पसंख्यक के दायरे से बाहर किए जाने की मांग पर सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। लिखें गये पत्र में देश में मुसलमान को अल्पसंख्यक नहीं द्वितीय बहुसंख्यक घोषित करने की बात भी कही गई है। उनके अनुसार अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ मुसलमान उठा रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से नये सिरे से अल्पसंख्यक परिभाषा कि समीक्षा होनी चाहिए। बीजेपी आर्थिक प्रकोष्ठ के संयोजक सिमरनजीत सिंह के अनुसार अल्पसंख्यक एक ऐसा समुदाय हैं जिसका आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो।

लेकिन आज देश एवं प्रदेश के कई जिलों में जिस समुदाय की संख्या 20% से भी अधिक है। बावजूद इसके वे उनके प्रतिनिधि अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष एवं सम्मानित सदस्यों के पद पर आसीन होकर तथाकथित अल्प संख्यक संवर्ग के उस समुदाय को ( जो कि द्वितीय बहुसंख्यक है) समस्त सुविधायें उपलब्ध कराते है और वास्तविक अल्प संख्यक जिनकी जनसंख्या नगण्य है (0.01% से 2% तक ), वह सभी उक्त सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते है

अल्प संख्यक आयोग का गठन ऐसे अल्प संख्यकों के हितों की रक्षा करना है, जिनकी संख्या नगण्य हो, जिनके वोट का जीत या हार पर कोई प्रभाव न हो, जो अपने वोट के बल से अपना प्रतिनिधि विधान सभा/लोक सभा में भेजने में अक्षम हो ऐसे समाज के हितों की रक्षा के लिये अल्प संख्यक आयोग का गठन किया गया।

किन्तु विडम्बना देखिये जो वर्ग द्वितीय बहुसंख्यक है और अपने वोट के बल पर कई विधान सभाओं के निर्णय प्रभावित करने की क्षमता रखता है। उस वर्ग को अल्पसंख्यक बताकर सदैव प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है, जो न्यायसंगत नहीं है। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में तथाकथित अल्पसंख्यक या द्वितीय बहुसंख्यकों की संख्या का प्रतिशत ( संवेदनशील सूचकांक 2011 के आधार पर )का जिक्र करते हुए उन्होंने इस संबंध में हस्तक्षेप की मांग की है।

उन्होंने जनसंख्या के आधार पर अल्प संख्यकों के हितों के रक्षण हेतु आयोग के नाम के अनुरूप संख्या के आधार पर अल्प संख्यक वर्ग को ही आयोग का अध्यक्ष एवं अन्य सम्मानित पदों पर आसीन कर जो वर्ग वास्तव में संख्या में नगण्य है और लाभ से सदैव वंचित रह जाते है की मांग की है।