KANPUR : श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी के 347वें शहीदी पर्व पर लाखों की संगत में लंगर छका, शब्द कीर्तन से संगत हुई निहाल

कानपुर

-तेग बहादर के चलत भयो जगत को सोक…… है है है सब जग भयो जय जय जय सुर लोक

SHIV : श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी के 347वें शहीदी पर्व के अवसर पर रविवार को लाखों लोगों की संगत ने गुरु का अटूट लंगर छका। सुबह और शाम का दीवान सजा जिसमें रागी जत्थों नें मनोहर शब्द कीर्तन से संगत को निहाल किया। देश में शांति एवं अमन के लिए अरदास की गई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने शिरकत की।

प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शुक्ला ने कहा कि सिख समुदाय ना सिर्फ बॉर्डर पर देश की रक्षा करता है बल्कि राष्ट्र धर्म की रक्षा करते हुए देश को एकता के सूत्र में पिरोने का भी काम करता है। 1984 दंगों के मुआवजे और पीलीभीत कांड के संदर्भ में रखी गई मांगों पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी अन्यथा वह पूरी तैयारी के साथ आते। इस पूरे प्रकरण पर उन्होंने श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर के चेयरमैन सरदार कुलदीप सिंह से कहा कि वे लखनऊ आए तो इस पर गंभीर रूप से चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जाएगा और मुख्य सचिव से भी इस पर वार्ता की जाएगी।

आपस में बैठकर जब इस मुद्दे पर चर्चा होगी तो इसका हल अदालत की और हमारी आपकी मंशा के अनुरूप जरूर निकलेगा। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस हर वर्ष मुख्यमंत्री के आवास पर मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि चार साहिबजादे की शहादत को कोर्स में शामिल कराया गया है। उन्होंने अफगानिस्तान की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां से एक मंत्री श्री गुरु ग्रंथ साहब को अपने सिर पर रखकर लेकर आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं चाहते थे कि हमारे पवित्र ग्रंथ किसी आतंकी के हाथ लगें। आजादी के बाद से करतार साहब में हमारी आत्मा थी। उसे भी खुलवाने का कार्य हमारी सरकार ने किया है।

इससे पूर्व श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर के चेयरमैन एवं पूर्व एमएलसी सरदार कुलदीप सिंह ने सालाना रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कहा गुरु तेग बहादर साहिब नें अपना बलिदान देकर भारतीय प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को बचा लिया। गुरु साहिब के बलिदान ने भारतीय इतिहास को नई दिशा दी है। सरदार कुलदीप सिंह ने कहा कि समाज को धार्मिक संकीर्णता से मुक्त करने के लिए गुरु तेग बहादर साहिब के शहीदी पर्व को और वृहद पैमाने पर मनाए जाने की आवश्यकता है। इस गुरु पर्व को केन्द्र सरकार और प्रांतीय सरकारों को अपने स्तर पर एकता के रूप में मनाना चाहिए। औरंगजेब भारतीय संस्कृति पर तीव्रता से हमलावर था। मंदिरों के निशान मिटाए जा रहे थे। औरंगजेब की संकीर्ण धार्मिक नीति के शिकार ब्राह्मणों की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर साहिब ने शहादत दी।

सभा महानगर के चेयरमैन सरदार कुलदीप सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि पिछले 17 वर्षों से सिख समुदाय कोर्ट के आदेश पर मुआवजा दिए जाने का इंतजार कर रहा है। पर अभी तक अदालत की मंशा के अनुरूप सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। यदि सरकार संजीदगी से इस पर ध्यान दे दे तो इससे सिख दंगा पीड़ितों का उद्धार हो सकता है। इस पर अदालत में अवमानना वाद भी दाखिल है। पूर्व उप मुख्यमंत्री को भी एक ज्ञापन सौंपा गया। लाखों की संगत के बीच दोनों प्रस्ताव भी पारित कराए गए।

शबद कीर्तन से संगत निहाल
श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर के मोतीझील में चल रहे तीसरे और अंतिम दिन की शुरुआत दोदड़ा साहब ने सिमरन अभ्यास से कराई । नित नेम सुखमणि साहिब सेवा सोसायटी, आसा दी वार भाई प्रतिपाल सिंह, भाई हरदीप सिंह और गुरमत विचार भाई नरेन्दर सिंह और भाई सज्जन सिंह मुरादनगर वाले और भाई जसप्रीत सिंह बडिंढा वालों नें शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया।

मेहमानों को सिरोपा भेंट कर सम्मान
पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, महापौर प्रमिला पांडेय, विधायक सुरेंद्र मैथानी, अरुण पाठक, जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरुण, पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड, कमिश्नर डॉ. राजशेखर, जिलाधिकारी विशाख जी, सीडीओ सुधीर कुमार, सुरेश अवस्थी, जिला अध्यक्ष सुनील बजाज, पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया को चेयरमैन सरदार कुलदीप सिंह और प्रधान सरदार सिमरनजीत सिंह ने सिरोपा भेंट किया। सभी ने एक ही पंगत में गुरु का अटूट लंगर छका। मुख्य रूप से चेयरमैन सरदार कुलदीप सिंह, प्रधान सरदार सिमरनजीत सिंह, प्रिंस वासू, संजय टण्डन, गुरविन्दर सिंह (बिट्टू). सुखप्रीत सिंह (बंटी), तजिन्दर पाल सिंह, हरदीप सिंह, गुरमीत सिंह लवली, गुरमीत सिंह पहूजा, गगन चड्ढा, जगतार सिंह, सर्वजीत सिंह, महिन्दर सिंह खनूजा, हरजीत सिंह रोमी आदि उपस्थित थे।