Adarsh : कानपुर में पांडु नदी के बढ़ते जलस्तर से मेहरबान सिंह का पुरवा, बिहारी पुरवा, मायापुरम, वरुण बिहार कच्ची बस्ती, जरौली गांव, रायपुरवा समेत कई इलाके पानी से घिर गए हैं। लोग इसी पानी से होकर आवागमन कर रहे हैं। वहीं, नदी के किनारे बसे लोग घर खाली कर दूसरे स्थानों पर चले गए हैं। कुछ लोगों ने गेट के बाहर एक से डेढ़ फीट ईंट की दीवार खड़ी कर ली है। लोगों ने बताया कि दिन में पानी कम होता है तो रात में बढ़ता है। लोग पहली मंजिल में रहने को मजबूर हैं।
मैनावती मार्ग किनारे बसा आम्रपाली विहार टापू बन गया है। आशाराम बापू का आश्रम और इसके आसपास के मोहल्ले जलमग्न हैं। मकड़ीखेड़ा के न्यू गोमती नगर, गुप्ता कालोनी, कल्याणपुर-बिठूर रोड स्थित पायनियर सिटी के हजारों लोग नौ दिन से जलभराव से परेशान हैं। गुप्ता कालोनी में पानी कुछ घटा, पर मगरमच्छों और सांपों की दहशत से लोग घरों में कैद हैं। कहीं-कहीं चार फीट तक पानी भरा है।
तमाम लोगों ने अपने बच्चों को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। सीएम पोर्टल पर शिकायतों के बावजूद समस्या का समाधान न होने से रोष है। आम्रपाली विहार निवासी सुरेश कुमार बस्ती जिले में शिक्षक हैं, मोहल्ले में जलभराव की वजह से अपना घर छोड़कर नहीं जा पा रहे हैं। कमोबेश पायनियर सिटी, न्यू गोमती नगर, गुप्ता सोसाइटी में भी ऐसी ही हालात हैं।
वहीं मकड़ीखेड़ा और उसके आसपास के क्षेत्र में हुए जलभराव पर नगर निगम और सिंचाई विभाग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। नगर निगम का कहना है कि सिंचाई विभाग की एक नहर के मंधना के पास कटने की वजह से सिंहपुर होते हुए पानी मकड़ीखेड़ा और उसके आसपास के निचले इलाकों में आ गया है। वहीं, सिंचाई विभाग का दावा है कि उसकी किसी भी नहर में इतना पानी ही नहीं है कि जलभराव की समस्या हो।
नहर कटान की बात को भी नकार दिया है। लोग डीएम कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक गुहार लगा रहे हैं। स्थानीय निवासी विवेक कुमार, पुनीत और अजय शुक्ला का कहना है कि जब विभाग अपनी जिम्मेदारी ही नहीं मान रहे तो समस्या का स्थायी समाधान कैसे मिल सकता है। उन्होंने बताया कि जलभराव की वजह से मगरमच्छ और जंगली जानवर घूम रहे हैं और वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जब दिखेगा तब पकड़ेंगे।