बीपी डेस्क। समाजवादी नेता रहे चौ. हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि पर पीएम नरेन्द्र मोदी 25 जुलाई को कानपुर आ सकते है। इस मौके पर सपा से राज्यसभा सदस्य रहे चौ. हरमोहन सिंह यादव के बेटे सुखराम सिंह यादव भाजपा का दामन थाम सकते है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा का ऑपरेशन यदुवंशी शुरू हो गया है। यूपी में नौ फीसदी यादव वोट है। जिसे पिछले 3 दशक से सपा का वोट बैंक माना जाता है। चौ. हरमोहन परिवार का अखिलेश यादव के कारण सपा से मोह भंग हो चुका है। मोदी का कार्यक्रम मिलते ही सुखराम सीधे शिवपाल से मिलने लखनऊ पहुंच गये है। इसके बाद दोनों नेताओं ने पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव से भी आशीर्वाद लिया।
सपा को शून्य करने का प्लान भाजपा ने तैयार कर लिया है। मोदी का कानपुर कार्यक्रम इसी कड़ी का हिस्सा बताया जा रहा है। यादवों का एक धड़ा कानपुर के चौधरी हरमोहन सिंह यादव के परिवार की अगुवायी में भाजपा से हाथ मिलाएगा। शुरुआत चौधरी हरमोहन के पौत्र मोहित यादव के भाजपा ज्वाइन करने के साथ ही हो चुकी है।
प्रदेश में यादवों की दो उपजातियां कमरिया और घोसी हैं। मुलायम कमरिया जबकि हरमोहन घोसी है। घोसी वर्ग के लोगों को टीस है कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में उन्हें बहुत कुछ नहीं मिला, जबकि मुलायम सिंह यादव को राजनीति में स्थापित करने में इस धड़े की बड़ी भूमिका रही है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 75% घोसी तो 25% के करीब कमरिया यादव है। मोहित यादव आरोप हैं, कि सपा के शासनकाल में तीन चौथाई से अधिक कमरिया यादवों की भरती हुई। भाजपा शासनकाल में भरती पाए यादवों का यह आंकड़ा उलट गया। नौकरियों में घोसी वर्ग की नियुक्तियां हुईं।
स्व.रामगोपाल यादव (पूर्व सांसद) चौधरी स्व.हरमोहन सिंह यादव (पूर्व सांसद) मेहरबानसिंह का पुरवा (कानपुर) गांव के हैं। इनकी अगली पीढ़ी अभी भी गांव में ही रहती है। हरमोहन सिंह के बेटे सुखराम और पौत्र मोहित घोसियों को भाजपा की ओर एकजुट करने में लगे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में घोसियों के वोट भाजपा में भी गए थे।
बताते हैं कि यादव महासभा ने चौधरी हरमोहन की पहल पर मुलायम सिंह यादव को यादवों का सर्वमान्य नेता स्थापित करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। पहले यादव चौधरी चरण सिंह का वोट बैंक हुआ करता था। फिलहाल यूपी की पॉलिटिक्स में यादवों की पहचान सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार से ही है, यही मिथक तोड़ने को मोदी का कानपुर दौरा प्रस्तावित है। सुखराम भाजपा में यादवों का चेहरा हो सकते हैं।
यादवों का सपा से हों रहा मोहभंग
सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 73% यादव समाजवादी पार्टी के साथ थे। जबकि 2014 के चुनाव तक इसमें बीजेपी सेंधमारी कर चुकी थी और यह घटकर सपा के पक्ष में सिर्फ 53% ही रह गया। बीजेपी को 27% यादवों के वोट हासिल हुए। जबकि 2009 में उसे इस जाति के सिर्फ 6 फीसदी ही वोट मिले थे।
कांग्रेस ने जहां 2009 में 11% यादवों का समर्थन हासिल किया था। वहीं 2014 में वह और कम होकर सिर्फ आठ फीसदी ही रह गया। सर्वे का दिलचस्प पहलू ये है कि पिछले दो चुनावों में बसपा के पक्ष में पांच फीसदी से अधिक यादव नहीं आए। बात 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस को इस जाति के सिर्फ चार-चार परसेंट वोट मिले. सपा को 2007 में 72% जबकि 2012 में घटकर सिर्फ 66% यादवों का मत हासिल हुआ।