कानपुर/बीपी डेस्क : आज समय से पहले जन्मे शिशुओं की आंखों में दिक्कत का इलाज गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कालेज में होगा। जिसके लिए मेडिकल कालेज में रेटिनोपैथी आफ प्रीमेच्योरिटी सेंटर खोलने की तैयारी जोरों से है। वहीँ आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) फाउंडेशन अपने कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) से सहयोग कर रहे है।
वहीँ समय से पहले जन्मे शिशुओं (प्रीमेच्योर बेबी) की आंखों के पर्दे (रेटिना) में असमान्य रक्त कोशिकाएं बनने लगती हैं, जिससे उनकी देखने की क्षमता प्रभावित होती है। इस समस्या को रेटिनोपैथी आफ प्रीमेच्योरिटी (आरओपी) भी कहा जाता हैं। इसके इलाज के लिए जीएसवीएम में सक्षम फाउंडेशन के साथ मिलकर केयर आफ लिटिल लिव्स आरओपी केयर सेंटर की स्थापना की जा रही है। वहीँ प्रदेश में पांच और जिलों में भी ऐसा सेंटर खोला जाएगा, जहां नवजात की स्क्रीङ्क्षनग की जाएगी।
जिसमें नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान और मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला के साथ सक्षम फाउंडेशन के बीच बातचीत के बाद सहमति भी हो चुकी है। समय से पहले जन्मे दो किलो से कम वजन के शिशुओं को सिक एंड न्यू बार्न केयर सेंटर (एसएनसीयू) में वेंटिलेटर और आक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है। कई बार लंबे समय तक एसएनसीयू में भर्ती रहने पर इन शिशुओं की आंखों के पर्दे पर अत्यधिक र1त कोशिकाएं बनने लगती हैं, जिसे रेटिनोपैथी आफ प्रीमेच्योरिटी (आरओपी) कहते हैं। इसलिए एसएनसीयू में भर्ती सभी नवजात की स्क्रीनिंग जरूरी है।
इस सेंटर पर हर साल 70 हजार हाई रिस्क बच्चों की स्क्रीङ्क्षनग की जाएगी। उसमें से 10 प्रतिशत बच्चों में आरओपी से अंधता की संभावना रहती है, जिनका इलाज किया जाएगा। उसके लिए उपकरणों में फंडश कैमरा, लेजर ट्रीटमेंट मशीन, लेजर इनडायरेक्ट आप्थलमोस्कोप मिलेंगे। एक वर्ष के लिए सभी खर्चे ओएनजीसी फाउंडेशन ही वहन करेगा। उसके बाद खर्च मेडिकल कालेज उठाएगा। शिशु में जन्मजात अंधता रोकने के लिए जीएसवीएम ने सक्षम फाउंडेशन के साथ मिलकर बड़ा प्रयास किया है। सेंटर खोलने के लिए जल्द ही मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस सेंटर के खुलने से हर साल हजारों बच्चों को नेत्र दिव्यांग होने से बचाया जा सकेगा।