Bhupendra Singh : उत्तशर प्रदेश की राज्यपाल कार्यालय ने यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के मेरठ कालेज में फर्जी भर्ती मामले पर गहरायी से संज्ञान लेते हुए 5 जनवरी तक अंतिम रिपोर्ट तलब कर ली है। मेरठ कालेज की कुलपति ने महाविद्यालय के सम्बन्धित प्राचार्यो और प्रबन्ध समिति के सदस्यों को कडी फटकार लगाते हुए कार्यवाही करने के भी निर्देश जारी कर दिए है। राजभवन ने यूपीसीए के पूर्व सचिव के फर्जीवाडे और वेतन विसंगति पर एक दो सदस्यीय कमेटी का गठन बीती 22 दिसम्बर को किया था जिस पर गंभीरता से जांच करते हुए मामले की रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है। यही नही मामले की गंभीरता को इस तरह से देखा गया कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर सभी कागजों को जमा करवाने की भी तैयारी कर ली गयी।
अगर इस मामले में यूपीसीए के पूर्व सचिव को दोषी माना गया तो उनको मेरठ कालेज से बर्खास्तगी की गाडी पर बैठना तय ताना जा रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव एवं निदेशक के खिलाफ की गई शिकायत पर कार्यवाही करते हुए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के कार्यालय से आख्या मांगी थी। राज्यपाल कार्यालय से निकले इस निर्देश में साफ तौर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति को यह कहा गया था कि विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ जितनी भी शिकायतें दर्ज हैं उस पर बिंदुवार तरीके से जांच कर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
कुलाधिपति कार्यालय से 22 दिसंबर को जारी इस निर्देश पत्र में साफ तौर पर अंकित किया गया था कि यूपीसीए के पूर्व सचिव व निदेशक युद्धवीर सिह के खिलाफ तदर्थ नियुक्ति, विनियमितीकरण और प्रोन्नति कि शिकायत दर्ज कराई गई थी जिस पर मामला लंबित चल रहा था। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिकायती पोर्टल पर मेरठ कालेज के प्रोफेसर और उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव डा. युद्धवीर सिंह के खिलाफ दो लाभ के पदों पर कार्यरत रहने की शिकायत की गई थी। गौरतलब है कि महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर रहे डॉ युद्धवीर सिंह की सेवा पुस्तिका में हेरफेर कर अपना विनियमितीकरण शासन से साँठगाँठ कर करा कर फायदा उठाने की शिकायत दर्ज करायी गयी थी।
यही नही उनपर मेरठ कॉलेज शिक्षक वेलफेयर एसोशिएशन ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी मेरठ व अन्य उच्च अधिकारियों को आपत्ति दर्ज कराई गयी थी।मेरठ कॉलेज के प्रबंध समिति के अवैतनिक सचिव , शासन व यूजीसी से प्राप्त ग्रांट की धनराशि को प्राचार्य के साथ जॉइंट अकाउंट में रखकर निविदाएं अपने परिचितों से प्राचार्य के नाम पर बल पूर्वक मंगवाते रहे हैं और अपना व्यक्तिगत एवं आर्थिक हितों की पूर्ति करते आए हैं।
साथ ही यूपीसीए के पूर्व सचिव एवं निदेशक पर महाविद्यालय की भामाशाह पार्क (विक्टोरिया पार्क) को निजी लाभ के लिए अनाधिकृत रूप से अपने चहेते को ठेके व पट्टे पर देते हुए अवैध धन उगाही का केंद्र बनाये जाने की शिकायत भी गयी थी। एक आरोप और भी लगाया गया है कि महाविद्यालय में उनकी नियुक्ति में वरिष्ठता सूची की पूर्णता अनदेखी करते हुए नियम विरुद्ध मनमाने तरीके से ऐसे व्यक्ति को प्राचार्य बनाया गया है जो जूनियर होने के साथ-साथ यूपी क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव और बीसीसीआई के सदस्य भी रहे है जो कि शासन को धोखा दिए जाने का मामला बनता आ रहा है। अब उनके खिलाफ राजभवन से किस प्रकार की कार्यवाही की जाएगी ये भविष्य के आईने में दिखायी देगा।