DESK : रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक भाई दूज का त्योहार दीपावली के बाद आज मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। आज 3 शुभ मुहूर्त हैं। भैया दूज के अवसर पर गुरुवार को बहनों ने भाइयों के तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना की। भाइयों का मुंह मीठा कराया। गुरुवार को बहनें जेल भी पहुंचीं और सुबह से ही लाइन लगाकर भाइयों का तिलक करने के लिए खड़ी रहीं। अपनी बारी आने पर भाइयों को टीका लगाया। ये बहनें जाली के इस पार थीं और भाई उस पार। टीका लगाने के लिए जेल प्रशासन ने झरोंखा बनाया था।


उसमें से ही हाथ डालकर बहनों ने भाई की आरती भी उतारी। उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की। दूसरी ओर शहर में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इसका मुहूर्त गुरुवार को 12 बजकर 45 मिनट तक रहा। सुबह से बहनें तैयार होकर अपने भाइयों के घर गईं। भाइयों को तिलक किया। यह सिलसिला चलता रहा। इससे पहले बुधवार की शाम को भी भैया दूज का त्योहार मनाया गया था मगर उदया तिथि गुरुवार को होने के कारण ज्यादा लोगों ने मुहूर्त को ही माना।
ये है मान्यता
यम और यमुना परस्पर भाई बहन हैं। बहन को शिकायत रहती थी कि उसका भाई कभी मिलने नहीं आता है। एक दिन अचानक यम अपनी बहन यमुना से मिलने चले गए। तब यमुना ने अपने भाई का टीका किया और उनको श्रीफल (गोला) भेंट किया ताकि भाई को याद रहे कि बहन से मिलने जाना है। तभी से भाई दूज पर भाई द्वारा विवाहित बहन के घर जाने और टीका कराने की परंपरा चल रही है। बहन-भाई द्वारा यमुना में स्नान करने का भी इस दिन विधान है।
