Kanpur, Bhupendra Singh : उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम में खिलाडियों की चयन प्रक्रिया एक बार फिर से सवालों के घेरे में आकर खडी हो गयी है। इस बार खिलाडियों की फिटनेस टेस्ट में भी ट्रेनर के साथ अन्य पदाधिकारियों की मिलीभगत से टीम की चयन प्रक्रिया में धांधली का मामला सामने आया है। यो-यो टेस्ट में फेल कई खिलाडियों को रणजी ट्राफी और एक दिवसीय टीम के लिए दल में शामिल कर लिया गया है। जबकि कई खिलाडियों ने मानक के बाद भी अपनी फिटनेस का प्रमाण दिया लेकिन उनकी सुनवाई ही नही की गयी और उन्हे अभ्यास मैचों से भी दूर कर दिया गया। टीम में कई ऐसे खिलाडी भी है जिन्होंने यो-यो यानि की फिटनेस का टेस्ट ही बिल्कुल ही पासिंग मार्क के बराबर पास किया लेकिन ट्रेनर ने उनके नम्बर ही बदल दिए। टीम के लिए ट्रेनर का काम कर रहे राशिद की भूमिका पर अब खिलाडियों ने ही सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं। यूपीसीए के एक सदस्य की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक प्रदेश के बाहर से आए कई खिलाडियों ने यहां का निवास प्रमाणपत्र बनवाकर चयन प्रक्रिया में शिरकत की है।

गौरतलब है कि सूबे के बाहर से आए नदीम मलिक, और शिवम गौतम की फिटनेस ही नही देखी गयी क्योंकि वह रसूखदार प्रभाव से टीम में शामिल किए गए। वहीं इसी प्रक्रिया में प्रदेश क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अक्षदीप नाथ ने तो चयन प्रक्रिया में भाग तक नही लिया और उन्हे् टीम में शामिल कर लिया गया और इसके उलट प्रदेश की टीम में सबसे फिट खिलाडी का प्रमाण पत्र पाए समर्थ सिंह को इस बार फिट न पाए जाने के चलते टीम से बाहर का रास्ता दिया दिया गया। क्रिकेट टीम के कई खिलाड़ी यो-यो टेस्ट में फेल हो चुके हैं इसके बाद भी वह टीम का हिस्सा बने हुए हैं। गौरतलब है कि नगर के युवा तेज गेंदबाज अंकित राजपूत पर भी फिटनेस को लेकर चयनकर्ताओं औरे ट्रेनर ने अल्टीमेटम दिया है कि अगर मुख्य टीम के ऐलान तक वह अपनी फिटनेस बरकरार नही रख सके तो उन्हे भी बाहर का रास्ता देखना पड सकता है।
वहीं अब इसको लेकर यूपी के ही एक पूर्व खिलाड़ी ने कहा है कि यो-यो टेस्ट में फेल होने वाले खिलाड़ियों को दूसरा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से टेस्ट क्रिकेट में एक खिलाड़ी को अपने आप को साबित करने के लिए दो पारियां मिलती हैं ठीक उसी तरह यो-यो टेस्ट पास करने के लिए भी दो मौके मिलने चाहिए।अगर कोई खिलाड़ी यो-यो टेस्ट में फेल हो जाता है तो उसे कुछ घंटे बाद या फिर अगले दिन दोबारा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने क्रिकेटरों का पक्ष लेते हुए कहा कि हो सकता है कि एक खिलाड़ी मानसिक तौर पर उस दिन तैयार नहीं हो। ये सिर्फ फिटनेस नहीं बल्कि एक खिलाड़ी के पूरे करियर का सवाल होता है। घरेलू क्रिकेट में पूरे साल बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाडियों के लिए आधे घंटे के भीतर फैसला नही किया जा सकता। यूपी में इससे पहले सुरेश रैना जैसे दिग्गज खिलाड़ी को भी यो-यो टेस्ट पास नहीं कर पाने की वजह से टीम में जगह नहीं मिली थी।