कानपुर : मरीजों को बेड दिलाने और भर्ती कराने के लिए ठग है सक्रिय

कानपुर

कानपुर/ भूपेंद्र सिंह : हैलट अस्पताल में इमरजेंसी और ओपीडी के बाहर निजी मेडिकल स्टोर के दलाल और कर्मचारी बहुत एक्टिव है। इमरजेंसी और ओपीडी से दवा का पर्चा लेकर निकलते मरीजों और तीमारदारों को अपनी दुकान में भरी डिस्काउंट का लालच देकर अपने साथ खींचते हुए ले जाते है लेकिन डिस्काउंट के नाम पर के मरीजों और तीमारदारों को कुछ नहीं मिलता है।

ओपीडी और इमरजेंसी के बाहर दलालों की अराजकता देख कर मरीजों और उनके तीमारदारों में हमेशा दहशत का माहौल रहता है। यह दलाल जबरन हाथ पकड़कर मरीज व उसे तीमारदारों को रोड के उस पार बानी दुकानों में ले जाते है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला ने दोनों ही जगह गार्डों की तैनाती की है, लेकिन  बावजूद यह लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है।

ओपीडी में मरीजों में दहशत…
हैलट ओपीडी में ज्यादातर लोग बाहरी जिले से आते है, या तो वो ज्यादा पड़े लिखे नहीं होते या उनको अपने मरीजों को यहां भर्ती करवाना होता है। यह दलाल इन गरीब मरीजों को भर्ती करवाने और दवाइयों में भारी डिस्काउंट का लालच देकर ओपीडी से बाहर लाकर उनसे पैसा वसूलते है। यह अवैध वसूली काफी दिनों से मरीजों के लिए दिक्कत बनी हुई है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन यह सब देखते हुए भी अनजान बना हुआ है। प्राचार्य द्वारा की गई गार्डों की तैनाती भी बेकार साबित होती दिख रही है। 

जैसे ही कोई तीमारदार या मरीज इमरजेंसी या ओपीडी से बाहर निकलता है, यह दलाल लोग उसके हाथ में जो पर्चा होता है उसे देखकर समझ जाते है कि यह किस डॉक्टर ने लिखा होगा  और उस पर्चे में किस प्रकार की दवाइयां लिखी होगी। सूत्रों की मानें तो इसमें डॉक्टरों का भी कमीशन तय होता है।  यह दलाल गेट पर सक्रिय खड़े रहते है, जैसे ही मरीज बाहर निकलता है उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचातानी करने लगते है। कई बार खींचतान में कई मरीज और तीमारदारों को चोट भी लग चुकी है। ओपीडी के बगल में बनी पुलिस चौकी में तैनात पुलिस वाले भी यह सब देख कर तमाशबीन बने रहते है।

मिली सूचना के मुताबिक बुधवार सुबह इमरजेंसी में तेज बुखार की शिकायत का एक मरीज अपने भाई के साथ कन्नौज से आया, इन दलालों ने उसे भर्ती कराने और अच्छा बेड दिलवाने के नाम पर 3500 रुपए वसूल लिए और थोड़ा इंतजार करने के लिए कह कर वह से चले गए। जब काफी देर तक वह लोग वापस नहीं आए तो मरीज के भाई ने इमरजेंसी में संपर्क किया। तब जा कर कहीं पता चला की वह लोग तो दलाल थे। ऐसे कई मामले सामने आते है लेकिन प्रूफ न होने के कारण मरीज इनकी रिपोर्ट चौकी में नहीं लिखवा पता है। साथ ही हैलट प्रशासन भी इसके लिए कुछ नहीं कर रहा है।

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